पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अमेरिका ने भारत से बातचीत में मदद के उनके देश के अनुरोध को ठुकराते हुए दोनों एशियाई पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद पर बल दिया।शीर्ष पाकिस्तानी राजनयिक ने बुधवार को लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका भारत के साथ बातचीत में मदद करे क्योंकि दोनों देश द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत नहीं कर रहे हैं।
कुरैशी ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मुहैया कराए जाने वाले धन से चलने वाले शीर्ष विशेषज्ञ संस्था ‘यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘जब हमने अमेरिका से वार्ता में भूमिका निभाने के लिए कहा- तो हमने क्यों कहा? सिर्फ इसलिए कि हमारे बीच द्विपक्षीय वार्ता बंद है और द्विपक्षीय संवाद नहीं होने से ध्यान भंग होता है।’ उन्होंने कहा, ‘हम सीमा के पश्चिमी भाग की ओर ध्यान लगाना, आगे बढ़ना चाहते हैं जो हम कर नहीं पा रहे हैं क्योंकि हमें पूर्वी ओर (भारत के साथ सीमा पर) मुड़कर देखना होता है. यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है।’
कुरैशी ने कहा, ‘अब क्या आप (अमेरिका) मदद कर सकते हैं? उनका जवाब न था। वे दोनों देशों के बीच बातचीत चाहते हैं लेकिन कोई द्विपक्षीय गतिविधि नहीं है।’ उन्होंने आगाह किया कि इससे दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। उन्होंने ये टिप्पणियां ऐसे समय कीं जब एक दिन पहले उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के साथ बैठक की थी। इस बैठक में कुरैशी ने यह मुद्दा उठाया था लेकिन ट्रंप प्रशासन ने अनुरोध ठुकरा दिया।
भारत पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता का विरोध करता है। पाकिस्तान कश्मीर सहित अन्य विषयों पर मतभेदों को दूर करने के लिए मध्यस्थता की निरंतर मांग करता है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारतीय नेताओं की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, ‘इस तरह बातचीत बंद होने से तनाव बढ़ता है और वहां से हाल में आए कुछ बयान बहुत मददगार नहीं हैं।’
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की नई सरकार बातचीत से कतरा नहीं रही है। न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बैठक रद्द होने का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भारत पीछे हट गया।
इसके लिए डाक टिकट जारी कर आतंकवादियों के महिमामंडन और भारतीय सुरक्षाबलों की क्रूर हत्याओं को भारत द्वारा वजह बताए जाने पर उन्होंने कहा, ‘अगर भारतीयों के पास कोई बेहतर विकल्प है तो हमारे साथ साझा करें। अगर एक-दूसरे से बातचीत नहीं करने से मुद्दे हल होंगे और क्षेत्र में स्थिरता आएगी तो ठीक है। अगर यह उनका आंकलन है तो फिर ठीक है।’’
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठकों के बाद पाकिस्तान के लिए रवाना होने वाले कुरैशी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों देश एक-दूसरे से बातचीत नहीं कर रहे।
बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चलने के भारत के रुख पर एक सवाल के जवाब में कुरैशी ने इमरान खान के एक बयान का हवाला दिया जब वह विपक्ष के नेता थे और नई दिल्ली की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। तब उन्होंने कहा था कि वार्ता को विफल करने वाले तत्व हमेशा होंगे।
कुरैशी ने खान के हवाले से कहा, ‘वार्ता को विफल करने वाले तत्व हमेशा होंगे. ऐसे तत्व जो शांति प्रक्रिया को बाधित करेंगे लेकिन जब वे ऐसा करें तो चलिए एक साथ मिलकर उनका मुकाबला करें? वे हमें वापस भेजेंगे लेकिन हमें देखना होगा कि हमारे हित में क्या है, हमारे क्षेत्रीय हित में क्या है। पाकिस्तान के हित में क्या है.’ इसके बाद जल्द ही उन्होंने कश्मीर का मुद्दा उठा दिया।
उन्होंने कहा, ‘अगर वे महसूस करते हैं कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर में जो भी गड़बड़ी हो रही है, वह सब पाकिस्तान करवा रहा है तो यह ख्याल हकीकत से परे है।’