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राजनीति में सदा उसूलों के पक्के रहे सोमनाथ चटर्जी !

सोमनाथ चटर्जी ने 9 बार चुनाव जीता, 1984 में जाधवुर संसदीय सीट से ममता बनर्जी के हाथों चुनाव हार गए। 1989-2004 तक वह लोकसभा में अपनी पार्टी के नेता रहे।

वामपंथी वटवृक्ष की जड़ रहे सोमनाथ चटर्जी ने राजनीति में कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया और संसदीय लोकतंत्र की मजबूती उनकी पहली प्राथमिकता रही। 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में जन्में सोमनाथ चटर्जी ने जीसस कालेज से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।

 सोमनाथ चटर्जी

राजनीति में प्रवेश से पूर्व सोमनाथ चटर्जी कलकत्ता हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करते रहे। 1968 में वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) में शामिल हुए। पहली बार उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप माकपा के सहयोग से लोकसभा चुनाव लड़े और सांसद निर्वाचित हुए।

सोमनाथ चटर्जी ने 9 बार चुनाव जीता, हालांकि 1984 में जाधवुर संसदीय सीट से ममता बनर्जी के हाथों चुनाव हार गए। 1989 से 2004 तक वह लोकसभा में अपनी पार्टी के नेता रहे।

पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का निधन

सोमनाथ चटर्जी बतौर सांसद 10वीं बार 2004 में बोलपुर संसदीय सीट से निर्वाचित हुए। 4 जून 2004 में वह सर्वसम्मति से 14वीं लोकसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और 2009 तक इस पद पर रहे।

 सोमनाथ चटर्जी

पिछले 10 साल से राजनीति से अलहदा रहे सोमनाथ चटर्जी

2008 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने जब अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया तो माकपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और सोमनाथ चटर्जी से लोकसभा अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा, लेकिन सोमनाथ चटर्जी ने यह कहते हुए पद से हटने से इंकार कर दिया था कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में वह किसी पार्टी के साथ नहीं है। उसके बाद माकपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। पिछले 10 साल से वह राजनीति से अलहदा रहे।

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