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12 साल तक की बच्ची से बलात्कार : रामनाथ कोविंद ने फांसी के कानून को दी मंजूरी

महिला से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सश्रम सजा को सात वर्ष से बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है और यह आजीवन कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपराध कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को मंजूरी दे दी है जिसमें कड़े दंड का प्रावधान है। इसमें 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार करने वालों को मृत्यु दंड की सजा देने की व्यवस्था है।

यह संशोधन 21 अप्रैल को जारी अपराध कानून संशोधन अध्यादेश का स्थान लेगा। कठुआ में एक नाबालिग लड़की और उन्नाव में एक महिला से बलात्कार के बाद इस अध्यादेश को जारी किया गया था। गजट अधिसूचना में कहा गया है, “इस अधिनियम को अपराध कानून (संशोधन) अधिनियम 2018 का नाम दिया गया है। इसे 21 अप्रैल 2018 से लागू माना जाएगा।”

 पिछले हफ्ते संसद ने कानून में संशोधन की दी थी मंजूरी

अधिनियम से भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा कानून, 2012 में भी संशोधन होगा। संसद ने पिछले हफ्ते कानून में संशोधन की मंजूरी दी थी जिसके बाद राष्ट्रपति ने कल मंजूरी दे दी।

गृह मंत्रालय ने अपराध कानून (संशोधन) विधेयक को तैयार किया था जिसमें 16 वर्ष और 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कारियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है।

बलात्कार मामले में न्यूनतम सश्रम सजा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया

महिला से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सश्रम सजा को सात वर्ष से बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है और यह आजीवन कारावास की सजा तक बढ़ाया जा सकता है।

नये कानून में 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा को दस वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष किया गया है जिसे बढ़ाकर शेष जीवन तक कारावास की सजा किया जा सकता है। इसका मतलब है कि नैसर्गिक मौत होने तक वह व्यक्ति जेल में रहेगा। 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

इसके लिये न्यूनतम 20 साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, अधिकतम आजीवन कारावास या मौत की सजा तक हो सकती है। कानून में कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में शेष जीवन तक के लिये कारावास या मौत की सजा सुनाई जा सकती है। इसमें त्वरित जांच और सुनवाई का भी प्रावधान है।

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