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RBI ने रेपो दर 0.25 फीसदी घटाई, घर के लिए कर्ज हो सकते हैं सस्ते 

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मुंबई : मुद्रास्फीति की नरमी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को अपनी नीतिगत ब्याज दर ‘रेपो’ 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दी। इससे बैंकों को कर्ज का धन सस्ता पड़ेगा और वे आने वाले दिनों में मकान, वाहन तथा अन्य निजी वस्तुओं की खरीद और उद्योग धंधे के लिए कर्ज सस्ता कर सकते हैं। नए गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीस) की पहली बैठक हुई। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत दृष्टिकोण को भी नरम कर ‘तटस्थ‘ कर दिया है। अभी तक उसने मुद्रास्फीति के जोखिम के मद्देनजर इसे ‘ नपी-तुली कठोरता’ वाला कर रखा था। इससे संकेत मिलता है कि रिजर्व बैंक आगे चल कर रेपो दर में और कमी कर सकता है।

केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के लगातार नीचे बने रहने के मद्देनजर बाजार में कर्ज सस्ता करने वाला यह कदम उठाया है। खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 2.2 प्रतिशत थी जो इसका 18 माह का निम्नतम स्तर है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन या इससे भी कम समय के लिये नकद धन उधार देता है। रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इतनी ही घटकर 6 प्रतिशत रह गई। इसके साथ ही बैंक दर और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) 6.50 प्रतिशत पर आ गई। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह चालू वित्त वर्ष की छठी और अंतिम द्विमासिक समीक्षा बैठक थी। बैठक में छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर में कमी किए जाने का समर्थन किया। हालांकि, रिजर्व बैंक के रुख को नरम करने के मामले में सभी सदस्य एक राय रहे।

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के बारे में अपने अनुमान को भी कम किया है। उसका मानना है कि मार्च 2019 में समाप्त होने वाली तिमाही में यह 2.8 प्रतिशत रहेगी। वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये मुद्रास्फीति अनुमान 3.2- 3.4 प्रतिशत रहने और तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। मौद्रिक नीति समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि ‘‘ निकट अवधि में मुद्रास्फीति की मुख्य दर नरम बने रहने का अनुमान किया गया है।

मुद्रास्फीति का वर्तमान स्तर नीचे है और खाद्य मुद्रास्फीति भी शांत है।’’ समिति ने कहा है कि ‘‘सब्जियों और तेल की कीमत, वैश्विक व्यापार में तनाव, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के महंगा होने, वित्तीय बाजारों में उतार चढ़ाव और मानूसन की स्थिति के प्रति हमें सजग रहना होगा।’’ समिति के प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘नीतिगत ब्याज में यह कटौती आर्थिक वृद्धि में सहायक होने के साथ साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर सीमित रखने के मध्यावधिक लक्ष्य के अनुकूल है।’’ मौद्रिक समिति की बैठक में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और सदस्य चेतन घाटे ने रेपो को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखने का पक्ष लिया। लेकिन गवर्नर दास और तीन अन्य सदस्यों ने इसमें कमी लाने के प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई।

एमपीसी ने कहा है कि इस समय ‘‘निजी निवेश और उपभोग को मजबूत करने और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।’ प्रस्ताव में कहा गया है कि निवेश में तेजी आई है, पर यह मुख्य रूप से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाए जाने का परिणाम है। गौरतलब है कि कर्ज सस्ता होने से निजी निवेश और उपभोग प्रोत्साहित हो सकता है। आरबीआई ने 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4% रहने का अनुमान लगाया है। चालू वित्त वर्ष के लिये केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने जीडीपी वृद्धि 7.2% रहने का अुनमान लगाया है। एमपीसी का अनुमान है कि अंतरिम बजट के प्रावधानों से लोगों के पास खर्च करने को ज्यादा पैसा बचेगा और सकल मांग बढेगी। लेकिन इसका असर दिखने में अभी समय लगेगा।

अंतरिम बजट 2019-20 में सरकार ने छोटे और सीमांत किसानों को साल में छह हजार रुपये की आय समर्थन योजना लागू करने के साथ साथ पांच लाख रुपये तक की कर योग्य आय को छूट दे कर कर मुक्त करने की घोषणा की है। किसानों के लिए आय हस्तांतरण योजना पर इस साल 20,000 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 75000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। इससे ग्रामीण बाजार में उपभोग मांग बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन इससे चालू वित्त वर्ष का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 प्रतिशत के बजट अनुमान से बढ कर संशोधित अनुमान में 3.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

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