मोहम्मद इरशाद मंगलुरु की एक इंजिनियरिंग कंपनी में काम करते हैं। इस कंपनी उन्हें उतना पैसा नहीं मिलता जितना कि वह कुछ महीने पहले पाते थे लेकिन वह इस बात से खुश हैं कि उनके पास कम से कम एक जॉब है।
इरशाद के विपरीत उनके कई मित्र, रिश्तेदार और पहचान के लोग पिछले साल जुलाई में खाड़ी देश सऊदी अरब में फैमिली टैक्स या आश्रित फीस लागू होने के बाद से स्वदेश लौटने के लिए मजबूर हुए हैं और जॉब के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। आपको बता दे कि सऊदी फर्स्ट की नीतियों में सबसे बड़ा बदलाव विदेशियों के लिए किया गया है।
वहां फैमिली टैक्स दोगुना कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि 2020 तक फैमिली टैक्स चार गुना कर दिया जाएगा। इसके अलावा बिजली, पानी और ईंधन के दामों में भारी बढ़ोतरी की जा रही है जिससे विदेशी नागरिक सऊदी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
सऊदी में फैमिली टैक्स 2017 से शुरू किया गया था। तब प्रति व्यक्ति 100 रियाल लिया जाता था यानी सऊदी के किसी भी शहर में रह रहे व्यक्ति को 1828 रुपए प्रति महीने वहां रहने का टैक्स देना होता था। जिसे 2018 में बढ़ाकर 3656 रुपए कर दिया गया। ऐसे में वहां बसे भारतीय अपने परिवार को या फिर सदस्यों को भारत भेजने को मजबूर हो रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक , पिछले कुछ महीनों में करीब 500 से अधिक परिवार भारत लौट चुके हैं। और यहां वो नए शिरे से जिंदगी शुरू करने की तलाश में जुटे हैं।
इसमें अधिकतर मध्यम वर्गीय और कम इनकम वाले परिवार हैं। स्वदेश वापस लौटे लोग फिलहाल कर्नाटक और केरल सरकार से मदद की गुहार कर रहे हैं।