नई दिल्ली: दिल्ली कूड़े के ढेर में दबती जा रही है और मुंबई पानी में डूब रही है। इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सूबे के उपराज्यपाल अनिल बैजल को तगड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने केन्द्र और दिल्ली सरकार से इस बारे में रुख स्पष्ट करने को कहा था कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को साफ करने की जिम्मेदारी किसकी है, उपराज्यपाल अनिल बैजल के प्रति जवाबदेह अधिकारियों की या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रति जवाबदेह अधिकारियों की?
अदालत ने कहा कि एक तरफ एलजी ऑफिस इस बात को स्वीकार करता है कि कूड़े का निस्तारण उनके अधिकार क्षेत्र में आता है और दूसरी तरफ आप का दफ्तर हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। बता दें कि एलजी अनिल बैजल ने स्वीकार किया था कि कूड़े का मुद्दा दिल्ली सरकार यानि सीएम के कार्यक्षेत्र में नहीं आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले दिल्ली की सिविक एजेंसियों और दिल्ली एलजी के दफ्तर से पूछा था कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ के लिए कौन जिम्मेदार है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से इस बारे में हलफनामा देने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार से कहा था कि वो इस मुद्दे पर चार्ट पेश करे कि आखिर उन्होंने ठोस कचरे के निस्तारण के लिए क्या कुछ किया है। इसके साथ ही ये सवाल भी पूछा था कि क्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप राज्यस्तरीय सलाहकार बोर्ड गठित कर लिए हैं या नहीं।
बता दें कि पिछले साल गाजीपुर स्थित कूड़े का ढेर राहगीरों पर गिर गया था। उस हादसे के बाद दिल्ली की सिविक एजेंसियों ने कूड़े निस्तारण का वादा किया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।