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नाश्ते पर 45 ‌‌मिनट चली शाह-नी‌तीश बैठक, ‍सीट शेयरिंग पर बात अभी बा‌कि

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पटना : ‌मिशन 2019 के लोकसभा चुनाव की तैया‌रियों के बीच भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह पूरे देश के दौरे पर हैं और सभी सहयोगियों से मिल रहे हैं। इसी कड़ी में  अमित शाह अपने एक दिवसीय दौरे पर पटना पहुंच चुके हैं। एयरपोर्ट पर कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। राजकीय अतिथिशाला में नाश्ते पर उनकी मुलाकात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हुई। मुलाकात के दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय भी मौजूद रहे। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीट शेयरिंग पर भी बात होगी।

 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और नीतीश कुमार साथ नाश्ता करेंगे। अमित शाह को नाश्ते में सत्तू के पराठे, कचौड़ी, चने की सब्जी, नेनुआ (तोरई) की सब्जी परोसी जाएगी। साथ ही उपमा का भी इंतजाम किया गया है जिसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चखेंगे. साथ ही आलू की सब्जी, दही का मट्ठा, लस्सी, फल जैसे सेब, पपीता और आम का भी नाश्ते में इंतजाम किया गया है।

इसके अलावा खास तरह के पकवान तैयार किये गए हैं. इसमें बिहार, गुजरात और राजस्थान सहित कुछ दक्षिण के राज्यों के व्यंजन भी शामिल किए गए हैं. राजकीय अतिथिशाला में अमित शाह को पोहा, हींग कचौरी, उपमा, कोसरिया जलेबी और सत्तू पाराठा जैसे व्यंजन परोसे जाएंगे।  नाश्ते के बाद अमित शाह सीधे ज्ञान भवन जाएंगे, जहां आईटी शेल के कार्यकर्ताओं और विस्तारकों को संबोधित करेंगे। सुरक्षा के चौक-चौबंद व्यवस्था किए गए हैं।

बड़ा कौन, बीजेपी या जेडीयू?

लोकसभा चुनाव में अब करीब 8 महीने बचे हैं लेकिन एनडीए के सभी घटक दलों ने बीजेपी पर सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बीजेपी के रणनीतिकार चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा 2014 लोकसभा चुनाव के अनुसार हो, जिसमें बीजेपी के हिस्से बिहार से 22 सीटों पर जीत मिली थी। रामविलास पासवान की लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा के साथ मिलकर गठबंधन में बीजेपी ने 30 सीटें लड़ी थी। बीजेपी करीब 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बड़े भाई की भूमिका चाहती है. लेकिन दूसरी तरफ जेडीयू 2015 लोकसभा चुनावों का हवाला देकर बड़े भाई की भूमिका चाहती है।

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इन 40 सीटों में से एनडीए को कुल 31 सीटों पर जीत हासिल हुई। एनडीए की 31 सीटों में बीजेपी ने 22, लोजपा ने 6 और रालोसपा ने 3 सीटों पर कब्जा जमाया। तब जेडीयू अकेले चुनावी समर में उतरी थी तो चालीस सीटों में से दो सीटों पर ही जीत मिली थीं, लेकिन जेडीयू का मानना है कि बुरे हालात में भी 16-17 फीसदी वोट हासिल हुए।

सूत्रों की मानें तो जेडीयू चाहती है कि दोनो पार्टियां 17-17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े हैं। बाक़ी की सीटें एलजेपी और आरएलएसपी को दे दी जाएं. जेडीयू इसके अलावा यूपी और झारखंड में 4 सीटें चाहती है। सियासी गलियारों में जेडीयू के आरजेडी और कांग्रेस नेताओं के साथ अंदरखाने बातचीत की खबरें भी सुर्खियों में है। सियासत के जानकार इसे जेडीयू की प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा मान रहे हैं।

2014 से 2018 तक देश की सियासत में काफी बदलाव आ चुके हैं. विपक्षी दलों को बीजेपी के विधानसभा चुनावों में बढ़ते प्रभाव से अपने वजूद बचाने की चिंता सताने लगी है, तो एनडीए के सहयोगी दलों के साथ पिछले 4 सालों में बीजेपी के साथ खट्टे-मीठे अनुभवों के मद्देनजर अब अपने फैसलों पर पुनर्विचार करने में लगे हुए हैं. लोकसभा चुनावों से पहले एनडीए में शामिल बीजेपी के कई सहयोगी एक-एक कर साथ छोड़ने लगे हैं।

टीडीपी, जीतन राम मांझी की हम और पीडीपी एनडीए से बाहर निकल चुकी हैं। वहीं, शिवसेना ने 2019 में अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अकाली दल ने भी राज्य सभा के उप सभापति पद पर दावेदारी ठोक कर बीजेपी की मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया है।

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के तालमेल और राज्य में कौन बड़ा भाई है, इन लेकर पिछले एक महीने से जमकर बयानबाजी हो रही है। हालांकि जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने साफ कहा कि लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने सीटों का फॉर्मूला भी दिया है।

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