शिवसेना ने बुधवार को धर्म विशेष की महिलाओं द्वारा बुर्का के उपयोग पर प्रतिबंध की मांग की है। शिवसेना ने श्रीलंकाई में ईस्टर संडे पर आतंकवादी हमलों के बाद वहां की सरकार द्वारा भी ऐसा ही नियम लाने की योजना बनाए जाने का हवाला दिया है। हमलों में 250 लोगों की मौत हो गई थी।
पार्टी ने अपने मुखपत्रों 'सामना' और 'दोपहर का सामना' के संपादकीय में कहा, "इस प्रतिबंध की अनुशंसा आपातकालीन उपाय के तौर पर की गई है जिससे कि सुरक्षा बलों को किसी को पहचानने में परेशानी ना हो। नकाब या बुर्का पहने हुए लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।"
रामदास अठावले ने जताई आपत्ति
वही, शिवसेना द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर रामदास अठावले ने कहा कि बुर्का पहनने वाली सभी महिलाएं आतंकवादी नहीं हैं, अगर वे आतंकवादी हैं तो उनका बुर्का हटा दिया जाना चाहिए। यह एक परंपरा है और उन्हें इसे पहनने का अधिकार है, भारत में बुर्का पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
आपको बता दें कि 'डेली मिरर' समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से मंगलवार को कहा था कि श्रीलंकाई सरकार मौलानाओं से विचार-विमर्श कर इसे लागू करने की योजना बना रही है और इस मामले पर कई मंत्रियों ने मैत्रिपाला सिरिसेना से बात की है।
सूत्रों के अनुसार, "सरकार ने कहा है कि, श्रीलंका में 1990 के शुरुआती दशक तक खाड़ी युद्ध से पहले मुस्लिम महिलाओं में नकाब या बुर्का का कोई चलन नहीं था। खाड़ी युद्ध में चरमपंथी तत्वों ने मुस्लिम महिलाओं के लिए यह परिधान बताया।" रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कोलंबो के निकट डेमाटागोडा में कई महिला आत्मघाती हमलावर भी बुर्का पहन कर भाग गई थीं। वहां तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।