सत्र की अवधि बढ़ाए जाने का विरोध के बाद स्थागित हुई राज्यसभा की कार्यवाही फिर शुरू हो गई है। राज्यसभा में मंत्री ने संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया। केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा की इस बिल से राष्ट्र के गरीबों का उत्थान होगा। यह निर्णय पूरी तरह से विचार के साथ लिया गया। थावर चंद गहलोत के विधेयक पर बोलते ही विपक्ष के कई सांसद उपसभापति की सीट के पास आ गए।
कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने बुधवार को सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान इसका समर्थन करने का ऐलान किया। आनंद शर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 में उनकी पार्टी के घोषणा पत्र में यह मुद्दा शामिल था और कांग्रेस की ऐसी सोच भी रही है। पहले भी इसके लिए प्रयास किए गए और वर्ष 2006 में इसके लिए आयोग बनाया गया था। इसको लेकर कानून भी बनाये गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि अब तीन राज्यों में मिली हार के बाद यह सरकार इस विधेयक को लेकर आयी है और इसको लेकर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस विधेयक को लाने के लिए तेजी दिखायी गयी है उसी तरह से महिला आरक्षण विधेयक में भी यह तेजी दिखायी जानी चाहिए। कांग्रेस सदस्य ने मोदी सरकार पर वादा खिलाफी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वायदा किया गया था। युवाओं को सब्जबाग दिखाये गये थे लेकिन हकीकत में नौकरियां कम हुई है।
वर्ष 2014 में केंद्र के 34 लाख कर्मचारी थे और पिछले साढ़ चार वर्षों से अधिक समय में मात्र 95 हजार भर्तियां हुयी है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में 97 हजार नौकरियां कम हो गयी हैं। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र में 11.85 लाख नौकरियां थी जो वर्ष 2017-18 में घटकर 10.88 लाख पर आ गयी। आनंद शर्मा ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी से निजी क्षेत्र में भी नौकरियां समाप्त हुई है। सबका साथ सबका विकास सोच अच्छा है लेकिन अच्छे दिन कब आयेंगें। देश इसका इंतजार कर रहा है। सरकार को अर्थव्यवस्था सुधारने, विकास को पटरी पर लाने का काम करना चाहिए लेकिन वह सपना दिखाने की फितरत में है।
सपा के रामगोपाल यादव ने विधेयक का किया समर्थन
सपा के रामगोपाल यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि आरक्षण की व्यवस्था आबादी के अनुसार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार 49.50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को तोड़ रही है तो अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के अनुसार 54 प्रतिशत और अनुसूचित जाति 25 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज की मानसिकता में बदलाव लाने की जरुरत है। सरकारी नौकरियों में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व के आंकड़ देते हुए सपा नेता ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था का आकलन होना चाहिए। आरक्षण व्यवस्था को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है। सरकार को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए।
अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने विधयेक का विरोध करते हुए कहा कि सवर्ण वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का विचार नया नहीं है और न्यायपालिका इसे खारिज कर चुकी है। यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। संविधान में केवल शैक्षिक एवं सामाजिक रुप से पिछडे लोगों को आरक्षण देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा विधेयक नहीं लाना चाहिए और इसे पारित करना संसद के अधिकारों से बाहर है। उन्होंने कहा कि संसद को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह संविधान सभा नहीं है और वह संविधान नहीं बना सकती।
राज्यसभा में राहुल को लेकर प्रभात झा द्वारा दिए गए बयान पर विपक्ष का हंगामा
बीजेपी सांसद प्रभात झा ने कहा कि राहुल जी को सुबह-शाम राफेल राफेल करते हैं, अगर हिम्मत है तो इस विधेयक पर बोलने आएं। आनंद शर्मा ने प्रभात झा के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राहुल गांधी इस सदन के सदस्य नहीं हैं और उनके बारे में दिए गए बयान को सदन की कार्यवाही से निकाला जाए। इस पर उपसभापति ने कहा कि कार्यवाही को देखकर बयान के बारे में विचार किया जाएगा। कांग्रेस के सांसद प्रभात झा के बयान पर हंगामा कर रहे हैं।
सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संशोधन बिल राज्यसभा में पेश किया। डीएमके सांसद कनिमोझी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। बीजेपी के सांसद प्रभात झा ने बिल पर बोते हुए कहा कि लोकसभा से इस बिल को बहुमत से पास किया गया है और उम्मीद है कि राज्यसभा से भी यह बिल पारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब सामान्य वर्ग के लोगों के आरक्षण मिलने जा रहा है जिसकी मांग कई साल से की जा रही थी। प्रभात झा ने कहा कि देश की भावना को समझते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार यह बिल लेकर आई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में दम है तो कहे कि वो इस बिल का विरोध करती है, कांग्रेस लोकसभा में बिल का समर्थन करती है और यहां वेल में आकर हंगामा कर रही है। उपसभापति ने हंगामे के देखते हुए सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर राज्यसभा में जोरदार हंगामा
कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन विधेयक को असम सहित समूचे देश के लिए खतरा बताते हुए राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया और इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के वक्तव्य की मांग की जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी। इससे पहले सदस्यों ने सदन की सहमति के बिना सरकार राज्यसभा सत्र की अवधि एक दिन बढ़ाए जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया।
वहीं अरुण जेटली ने कहा कि देश चाहता है संसद चले। उन्होंने कहा कि अहम विधेयकों के लिए सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाया गया है और विपक्षी दलों के सरकार का साथ देकर विधायी कामकाज पूरा कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम दिनों में तो हंगामे की वजह से काम हो नहीं सका, कम से कम आज जब सदन एक दिन बढ़ा है तो सदन में काम होना चाहिए।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अन्नाद्रमुक के एस पी बालासुब्रमण्यम, तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दू शेखर राय और कांग्रेस के आनंद शर्मा ने नियमों का हवाला देते हुए बिना सदन की सहमति के सत्र की अवधि बढ़ाए जाने का विरोध किया। इस पर उप सभापति हरिवंश ने कहा कि मंगलवार को सुबह कार्यमंत्रण समिति की बैठक के एजेन्डा में सत्र की अवधि बढ़ाए जाने का विषय शामिल था और इस पर सभापति की मौजूदगी में सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा भी हुई थी।
उन्होंने कहा कि संसद के बाहर सदस्यों द्वारा यह कहा जा रहा है कि बिना चर्चा के सदन की अवधि बढा दी गयी। पीठ बाहर कुछ नहीं कह सकती लेकिन इतना जरूर है कि इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आसन की समझ यह थी कि सभी के साथ इस मुद्दे पर बात हो गयी है और यदि सदस्य इसे चूक समझते हैं तो यह ‘मेरी समझ की ओर मेरी निजी चूक है।’’