कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने मानवता की अनोखी मिसाल पेश की है। रमजान के पाक महीने में मुस्लिम धर्म को मानने वाले सीआरपीएफ जवान भी रोजे रख रहे हैं। वही , बुधवार को ल्यूकीमिया से पीड़ित 20 साल युवती को खून की जरूरत थी। लड़की के बचान के लिए दो जवानों ने अपना रोज़ा तोड़ दिया और रक्तदान करके मानवता का परिचय दिया।
अधिकारियों ने बताया कि किश्तवार निवासी अनिल सिंह ने कुछ दिनों पहले सीआरपीएफ को ‘मददगार’ हेल्पलाइन के जरिये फोन किया था।
उन्होंने ल्यूकेमिया से पीड़ित अपनी बहन पूजा देवी के लिए खून की जरूरत बताई थी और अर्धसैनिक बल से इसके लिए मदद की गुहार लगाई थी। अनिल सिंह ने सुरक्षाबल को बताया था कि परिजनों की मदद से उन्होंने दो बोतल खून की व्यवस्था कर ली है, लेकिन अब भी चार बोतल ब्लड की जरूरत है।
@crpfindia #Madadgaar personnel fasting in the month of Ramadhan, broke their fast to donate 4 units of blood to 20 year old Ms. Pooja suffering from leukemia at SKIMS Hospital, Srinagar. pic.twitter.com/1Eq0QRv4ob
— CRPF Madadgaar (@CRPFmadadgaar) June 14, 2018
बता दे कि यह बीमारी अक्सर महिलाओं में होती है। इस बीमारी की वजह से शरीर में कैंसर के लक्षण बढ़ने लगते हैं और खून बनना बंद हो जाता है। ल्यूकीमिया ग्रसित मरीज को बराबर खून की जरूरत पड़ती रहती है।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ ने स्थानीय लोगों की मदद करने के लिए ‘मददगार’ हेल्पलाइन नंबर (14411) की व्यवस्था की है। यह चौबीसों घंटे चालू रहता है। फोन कॉल्स रिसीव करने के लिए सीआरपीएफ के जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि तकरीबन दो सप्ताह पहले डोडा जिला निवासी आशिक हुसैन ने मददगार हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर मदद की गुहार लगाई थी। उसके नवजात बच्चे के ब्रेन में दिक्कत थी और अविलंब सर्जरी की जरूरत थी। सीआरपीएफ की मदद से नवजात का सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज किया गया था।
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