अमेरिका, भारत के ईरान से 4 नवंबर के बाद तेल आयात जारी रखना और रूस से हवाई रक्षा प्रणाली एस-400 खरीदना के फैसले का ”बहुत ही सावधानीपूर्वक” समीक्षा कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने यह बात कही। उसने कहा कि ये भारत के लिए ”फायदेमंद नहीं” रहेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2015 में बहुपक्षीय समझौते से हाथ खींचने के बाद से अमेरिका ईरान से सारा तेल आयात बंद करने की कोशिश कर रहा है। उसने अपने सभी सहयोगी देशों को 4 नंवबर तक ईरान से तेल आयात घटाकर शून्य करने को कहा है। भारत के ईरान से चार नवंबर के बाद भी तेल खरीदना जारी रखने पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि यह भारत के लिए फायदमेंद नहीं होगा। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ”ईरान से तेल आयात करना जारी रखने वालों पर चार नंवबर से प्रतिबंध प्रभावी होंगे। हम प्रतिबंधों को लेकर दुनिया भर के ईरान के कई भागीदारों और सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।”
नोर्ट ने कहा कि उन देशों के लिए हमारी नीति बहुत स्पष्ट है। इस मुद्दे पर हम ईरान सरकार के साथ भी बातचीत कर रहे हैं और संयुक्त व्यापक कार्य योजना के तहत हटाए गए सभी प्रतिबंधों को फिर से लगा रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने सभी देशों को यह संदेश स्पष्ट रूप से दे दिया है और राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका सभी प्रतिबंधों को फिर से लगाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रवक्ता ने कहा, ”प्रतिबंध लागू होने के बाद भी भारत के ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका के राष्ट्रपति ने चेताया था। मैं इससे पहले कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन उन्होंने कहा था कि हम इसका ध्यान रखेंगे।” रूस से एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली खरीदने पर काट्सा के तहत दंडात्मक कार्रवाई पर ट्रंप ने कहा था कि भारत को जल्द इस संबंध में पता चल जाएगा। नोर्ट ने कहा, ”राष्ट्रपति ने कहा कि हम इसे देखेंगे। इसलिए मैं उनसे पहले कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन जैसा मैं तेल और एस-400 प्रणाली खरीदने के बारे में सुन रही हूं। यह भारत के लिये फायदेमंद नहीं होगा।”
गौरतलब है कुछ दिन पहले ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत की यात्रा पर आए थे। पीएम मोदी और पुतिन की मौजूदगी में हुए समझौते के तहत भारत, रूस से दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदेगा।