नई दिल्ली : राम मंदिर निर्माण को लेकर शिवसेना भी कूद पडी है । शिवसेना ने आज (शुक्रवार) एक बड़ा बयान दिया जिसमें शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा ‘जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के लिए कोर्ट से नहीं पूछा तो हम राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट से क्यों पूछें।’ उन्होंने कहा ‘राम मंदिर श्रद्धा का मामला है, दिवाली के बाद लाखों शिवसैनिक मिलकर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू करेंगे।’
शुक्रवार को शिवसेना के नेता संजय राउत ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राम मंदिर को लेकर सरकार अध्यादेश लाए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर सरकार को फैसला लेना ही होगा। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि बीजेपी सत्ता में राम मंदिर निर्माण के नाम पर ही वोट मांगकर आई है।
बता दें कि शुक्रवार को ही राम मंदिर मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए आज (5 अक्टूबर) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की अहम बैठक दिल्ली में होगी। यह बैठक एआईएमपीएलबी की लीगल कमेटी की होगी। इस बैठक में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी, सुन्नी पर्सनल लॉ बोर्ड और एआईएमपीएलबी के करीब 20 बड़े वकील भी शामिल होंगे। इसमें सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद को लेकर चल रही सुनवाई पर भी अहम रणनीति बनाई जा सकती है।
इसके अलावा राम मंदिर पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की ओर से राम मंदिर को लेकर शुक्रवार (5 अक्टूबर) को दिल्ली में संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दो दर्जन से अधिक प्रमुख संत हिस्सा लेंगे। विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष अलोक कुमार ने बताया कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि राम मंदिर का निर्माण होगा। राम मंदिर बनेगा। अब इसका रास्ता क्या होगा, इस पर पांच अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकार समिति विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत इस मामले में सुनवाई करके फैसला सुनाएगी, कानून के माध्यम से इस पर आगे बढ़ा जा सकता है। इन मुद्दों पर संतों की समिति विचार करेगी।
बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 27 सितंबर को सुनवाई की। इनमें से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस अशोक भूषण ने संयुक्त फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘पुराना फैसला उस वक्त के तथ्यों के मुताबिक था। इस्माइल फारूकी का फैसला मस्जिद की जमीन के मामले में था’।
जस्टिस भूषण ने कहा कि ‘फैसले में दो राय, एक मेरी और एक चीफ जस्टिस की, दूसरी जस्टिस नजीर की. मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अटूट हिस्सा नहीं. पूरे मामले को बड़ी बेंच में नहीं भेजा जाएगा’। उन्होंने कहा कि ‘इस्माइल फारूकी के फैसले पर दोबारा विचार की जरूरत नहीं’? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ’29 अक्टूबर में राम मंदिर मामले पर सुनवाई शुरू होगी’।