पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया कि सीबीआई एयरसेल-मैक्सिस मामले में आरोप-पत्र के कुछ हिस्से मीडिया में लीक कर रही है ताकि मुद्दे को सनसनीखेज बनाया जा सके और "न्यायिक प्रक्रिया का मखौल उड़ाया जा सके।"
विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने एजेंसी को नोटिस जारी कर आठ अक्टूबर तक जवाब मांगा है। कांग्रेस के नेता की ओर से अधिवक्ता पी के दुबे और अर्शदीप सिंह ने इस बारे में आवेदन दाखिल किया है। इसमें आरोप लगाया है कि सीबीआई की दिलचस्पी अदालत में मामले की निष्पक्ष सुनवाई में नहीं है बल्कि वह केवल मीडिया ट्रायल चाहती है।
आवेदन में कहा गया, "चूंकि इस अदालत ने अभी तक आरोप-पत्र का संज्ञान नहीं लिया है, इसलिए ऐसा लगता है कि सीबीआई ने गोपनीय रूप से इसकी प्रति अखबार को उपलब्ध करा दी है और वह इसे थोड़ा-थोड़ा करके प्रकाशित कर रहा है ताकि मुद्दे को सनसनीखेज बनाया जा सके और उसमें जिन आरोपियों का नाम है उनके प्रति अदालत के संज्ञान लेने से पहले ही पूर्वाग्रह बनाया जा सके।"
इसमें कहा गया, "इसे देखते हुए, यह स्पष्ट है कि सीबीआई कानून की अदालत में निष्पक्ष सुनवाई के पक्ष में नहीं है और केवल मीडिया ट्रायल चाहती है। इसके कारण अपीलकर्ता समेत आरोपी लोगों के अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह बन रहा है।" आवेदन में यह भी कहा गया कि सीबीआई न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना रही है।
इससे पहले, पूर्व वित्त मंत्री ने कई ट्वीट कर आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी ने आरोप-पत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उन्हें इसकी प्रति देने से पहले ही मीडिया के लिए आरोप-पत्र लीक कर दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा,"सीबीआई की अदालत में निष्पक्ष सुनवाई में दिलचस्पी नहीं है। यह मीडिया ट्रायल चाहती है। सीबीआई न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना रही है।"
चिदंबरम ने दावा किया कि सीबीआई का आरोप पत्र इसमें नामजद लोगों को नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, "इसके बावजूद इसे चापलूस अखबार को लीक किया गया है, जो किस्तों में इसे प्रकाशित कर रहा है।" कांग्रेस नेता ने कहा कि यह अब निष्क्रिय हो चुका विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) फैसला करता था कि क्या कोई प्रस्ताव वित्त मंत्री के पास भेजा जाना चाहिये या नहीं।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, "एफआईपीबी ने मेरे पास प्रस्ताव रखा और मैंने 20 अन्य प्रस्तावों के साथ इसे मंजूरी दे दी।" उन्होंने कहा कि सीबीआई ने एक समाचार पत्र को आरोप पत्र लीक कर दिया क्योंकि वह "मीडिया के जरिये ट्रायल चाहती है।" उन्होंने कहा, "सौभाग्य से हमारी कानूनी व्यवस्था में मुकदमा सिर्फ अदालत में चल सकता है।"
इस मामले में सीबीआई ने 19 जुलाई को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था जिसमें चिदंबरम और उनके पुत्र का नाम शामिल था। केंद्रीय जांच ब्यूरो इस तथ्य की जांच कर रहा है कि 2006 में वित्त मंत्री ने कैसे एक विदेशी कंपनी को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी दी जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति को ही था।