बॉलीवुड में कई सारी दोस्ती की मिसालें आज भी दी जाती हैं। दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ अमिताभ बच्चन की दोस्ती से तो पूरी दुनिया ही वाकिफ है। बता दें कि एक जमाने में शत्रुघ्न सिन्हा और राजेश खन्ना भी बहुत करीबी दोस्त हुआ करते थे। दोनों की दोस्ती की मिसाल लोग हर किसी को दिया करते थे। फिल्म आज का एमएलए रामअवतार से दोनों की दोस्ती की शुरूआत हुई थी। लेकिन उन दोनों के बीच एक ऐसा भी समय आ गया था जब दोनों की दोस्ती खत्म हो गई थी।
लालकृष्ण आडवाणी साल 1991 में आमचुनावों में गुजरात के गांधीनगर और दिल्ली इन दोनों सीटों से चुनाव जीते थे। उस समय दिल्ली की सीट से आडवाणी ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद साल 1992 में दिल्ली की इस सीट पर दोबारा से उपचुनाव हुए थे।
इस सीट के लिए भाजपा ने आडवाणी के कहने पर शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया था तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट के लिए सुपरस्टार राजेश खन्ना को मैदान में उतारा था। इस दौरान दिल्ली के चुनावी मैदान में दोनों सितारों के फिल्मी डॉयलॉग गूंजने शुरू हो गए थे। उसी दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने एक ऐसी बात बोल दी थी जिसके बाद राजेश खन्ना ने उनसे फिर कभी बात नहीं की थी।
चुनावी कैम्पेन के दौरान शत्रुघ्न ने राजेश खन्ना को मदारी कहा था
शत्रुघ्न सिन्हा ने इस चुनावी कैम्पेन में राजेश खन्ना को मदारी कह दिया था। उसके बाद राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को जवाब 25 हजार से भी ज्यादा वोट जीत कर दिया था। इस चुनाव में राजेश खन्ना को 52.51 प्रतिशत वोट यानी 101,625 मिले थे। तो वहीं शत्रुघ्न सिन्हा को इस चुनाव में महज 37.91 प्रतिशत ही वोट यानी 73369 वोट ही मिले थे।
यह चुनाव तो राजेश खन्ना जीत गए थे लेकिन वह पूरी जिंदगी शत्रुघ्न सिन्हा का मदारी कहना नहीं भूल पाए थे। हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी इस हरकत के लिए राजेश खन्ना से माफी भी मांगी थी लेकिन राजेश खन्ना ने उन्हें मांफ नहीं किया और मरते दम तक शत्रु से शत्रुता निभाई थी।
शत्रुघ्न सिन्हा ने इस घटना के बारे में अपनी किताब एनीथिंग बट खामोश में भी बताया है। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी किताब में लिखा है कि उस चुनाव में हारना मेरे लिए निराशा के दुर्लभ क्षणों में से एक था। उन्होंने अपनी किताब में आगे लिखा कि वह पहला मौका था, जब मैं रोया था। राजेश खन्ना से इस बात के लिए माफी भी मांगी थी लेकिन राजेश खन्ना ने उनसे कभी भी बात नहीं की। मुझे इस वजह से भी निराशा हुई कि आडवाणी जी मेरे लिए एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं आए।