फूल, जिन्हें देख कोई भी शख्स खुश हो जाए। फूल जिनका इस्तेमाल माला बनाने और गजरे बनाने के लिए भी होता हैं। क्योंकि ये होते ही ऐसे है कि इनकी खूशबू से सारा जहां महक जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक ऐसा फूल भी है जिसके पास जाने के बजाए लोग उससे दूर भागते है। क्योंकि उसमें से इतनी गंदी बदबू आती है कि लोगों का दम घूटने लगता है।
इस फूल का नाम रैफलेसिया (Rafflesia) है। ये फूल जंगलों में उगता है और इसमें से ऐसी बंदबू आती है मानो कोई लाश सड़ गई हो। इसलिए इस फूल को 'लाशों का फूल' भी कहा जाता है। इस फूल के पास कोई भी व्यक्ति 1 मिनट तक भी नहीं टिक सकता है। बता दें, इस फूल की खोज पहली बार 18वीं सदी के अंत में यूरोपीय खोजकर्ताओं ने की थी। इसके बाद से दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार इस फूल पर नजर बनाए हुए हैं और इसे अस्तित्व को बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
अपनी बंदबू के चलते ही इस फूल ने सदियों से वनस्पतिशास्त्रियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। लेकिन अब वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि ये फूल विलुप्त होने के कगार पर है। इसलिए इसे बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक रैफलेसिया की कुल 42 प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती हैं, लेकिन रिसर्चर ने चेतावनी दी है कि वो सभी खतरे में हैं। इनमें से 25 प्रजातियों को तो गंभीर रूप से लुप्तप्राय और 15 को सामान्य लुप्तप्राय की कैटेगिरी में रखा गया है।
'लाशों का फूल' वनस्पतिशास्त्रियों को तो आकर्षित करता ही है साथ ही ये मांस खाने वाली मख्कियों को भी आकर्षित करता है। वहीं ऑक्सफोर्ड बॉटैनिकल गार्डन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. क्रिस थोरोगूड कहते हैं कि रैफलेसिया एक परजीवी पौधा है, जिसमें पत्तियां, तना या जड़ें नहीं होती हैं और यह प्रकाश संश्लेषण भी नहीं करता है। वहीं, ये फूल ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड के जंगलों में अक्सर देखने को मिल जाते हैं।
मालूम हो, सभी फूलों से निराला रैफलेसिया, खिलने में भी सामान्य फूल से ज्यादा समय लेता है। बता दें, सूरजमुखी की तरह दिखने वाले इस फूल को खिलने में कई महीनों का समय लगता है। ये अक्टूबर से खिलना शुरू होता है तो पूरी तरह खिलने में अगले साल मार्च का महीना आ जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ साल पहले इंडोनेशिया के जंगलों में भी ये फूल मिला था, जो करीब 4 वर्ग फीट में फैला हुआ था। तब इसे दुनिया का सबसे बड़ा खिला हुआ फूल माना गया था।