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Gyanvapi Masjid: यहां जानें 2 घंटे चली वाराणसी जिला कोर्ट की बहस में क्या हुआ, अब सोमवार तक टली सुनवाई

ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी जिला कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट में दो घंटे बहस चली। अदालत ने सबसे पहले मुस्लिम पक्ष की मांग पर केस की वैधता पर सुनवाई की और उनकी दलीलें सुनीं। मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने की बातों को अफवाह बताया। बताते चले कि कोर्ट में दोनों पक्षों से 36 लोग मौजूद रहे।

मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि... 

मुस्लिम पक्ष ने उपासनास्थल अधिनियम-1991 के उल्लंघन का हवाला देते हुए ज्ञानवापी को लेकर दायर अर्जी को ही खारिज करने की मांग भी की। मुस्लिम पार्टी द्वारा 1991 के इस अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पिछली मिसालों का हवाला दिया गया है। मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि पार्टियों (वादी) को मस्जिद के शीर्षक का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुमताज अहमद भी पेश हुए। फिलहाल दोनों तरफ से हुई बहस को सुनने के बाद सोमवार तक के लिए सुनवाई टाल दी गई है।

1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत यह केस सुनवाई के योग्य ही नहीं-मुस्लिम पक्ष

मुस्लिम पक्ष ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा कि शिवलिंग मिलने की बात अफवाह है। इसके जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने कहा कि मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बात कहकर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत यह केस सुनवाई के योग्य ही नहीं है।

मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने कहा कि मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बात कहकर लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत यह केस सुनवाई के योग्य ही नहीं है।

अदालत केस के भविष्य पर फैसला सुना सकती

ज्ञानवापी विवाद पर वाराणसी की अदालत में करीब घंटे से सुनवाई जारी है। मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की ओेर से फिलहाल दलीलें दी जा रही हैं। कुछ देर में आज की बहस समाप्त हो सकती है। उसके बाद अदालत केस के भविष्य पर फैसला सुना सकती है। ज्ञानवापी विवाद को लेकर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस ऐक्ट के तहत 1947 तक किसी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसमें तब्दीली नहीं की जा सकती। ऐसे में उस ऐक्ट के तहत यह मसला सुनवाई के योग्य ही नहीं है।

 करीब 45 मिनट तक सुनवाई के बाद अदालत ने कहा... 

अदालत में मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से यह दलील दी गयी है कि वर्ष 1991  के धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) कानून के परप्रिेक्ष्य में इस वाद पर अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम  11 के तहत इस संबंध में आवेदन दिया गया था। संबंधित कानून में धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 जैसा बनाये रखने का प्रावधान है। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज डॉ अजय कुमार विश्वेश की अदालत में पिछले सोमवार को सुनवाई शुरू हुई थी। करीब 45 मिनट तक सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार तक के लिए मामले को टाल दिया था। मंगलवार को अदालत ने तय किया कि पहले मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनी जाएंगी और यह तय किया जाएगा कि केस चलने लायक है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि आदेश 07 नियम 11 संबंधी अर्जी यानी केस चलने लायक है या नहीं उस पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई हो। 

सिविल जज की अदालत से जिला जज कोर्ट में स्थानांतरित हुआ 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह प्रकरण सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज कोर्ट में स्थानांतरित हुआ है। राखी सिंह एवं अन्य की अर्जी पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का कोर्ट कमीशन कराया था। मस्जिद परिसर में स्थित वुजूखाने में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उस स्थान को सील करने के आदेश और प्रकरण की वैधता को लेकर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब शीर्ष अदालत ने यह मामला जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।