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UP Election Result: दिग्गज नेताओं को हराकर सुर्खियों में आ गये विभिन्न दलों के कम चर्चित उम्मीदवार

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी  एक बार फिर से सत्ता में लौटी है और प्रचंड बहुमत हासिल किया, लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले उसकी सीटें कम हुई हैं। कहा जा रहा था कि इस बार किसान आंदोलन  बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला। किसान आंदोलन केवल 4 जिलों तक ही सीमित रहा है, जिसमें मुजफ्फर नगर, शामली, मेरठ और बागपत शामिल हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर विभिन्न दलों के कम चर्चित उम्मीदवार दिग्गज नेताओं को हराकर सुर्खियों में आ गये हैं।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सात हजार से अधिक मतों से पराजित
कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सात हजार से अधिक मतों से पराजित कर समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार डॉक्टर पल्लवी पटेल ने लोगों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। पल्लवी, अपना दल के संस्थापक डॉक्टर सोनेलाल पटेल की पुत्री हैं और केंद्र सरकार में मंत्री तथा अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की बड़ी बहन हैं।
पल्लवी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में कदम रखा। वह अपनी मां के नेतृत्व वाले अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। हालांकि, सपा में शामिल होने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ीं पल्लवी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव में हराकर यह उपलब्धि अपने नाम की।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्‍लू’ को हराया
कुशीनगर की तमकुहीराज विधानसभा सीट पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और 2012 से लगातार विधायक रहे अजय कुमार ‘लल्‍लू’ को भाजपा के डॉक्टर असीम कुमार ने चुनाव में तीसरे नंबर पर धकेल दिया। असीम कुमार को 1,15,123 मत मिले जबकि अजय कुमार ‘लल्‍लू’ को 33,496 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। तमकुहीराज में दूसरे नंबर पर रहे सपा के उदय नारायण गुप्ता को 48,651 मत मिले। डॉक्टर असीम कुमार और लल्‍लू के बीच 81,627 मतों का अंतर रहा।
मूलत: बिहार के निवासी डॉक्टर असीम कुमार करीब तीन दशक पहले गोरखपुर में सरकारी सेवा में आये और बाद में उन्‍होंने अपना नर्सिंग होम खोल लिया। गोरखपुर के पार्क रोड स्थित अपने नर्सिंग होम के जरिये वह गरीबों की सेवा करते रहे हैं और अब राजनीति में आए हैं। उन्हें निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने चुनाव लड़ने का मौका दिया, लेकिन निषाद कोटे के उम्मीदवार रहते हुए भी उन्हें भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला। इस तरह तकनीकी तौर पर वह भाजपा के विधायक हो गये।
डॉक्टर संजय सिंह को समाजवादी पार्टी की महाराजी प्रजापति ने पराजित कर दिया
अमेठी विधानसभा क्षेत्र में पूर्ववर्ती अमेठी रियासत से जुड़े डॉक्टर संजय सिंह को समाजवादी पार्टी की महाराजी प्रजापति ने पराजित कर दिया। महाराजी को 88,217 मत मिले जबकि संजय सिंह को 70,121 मतों पर संतोष करना पड़ा। पहली बार विधानसभा चुनाव मैदान में उतरीं महाराजी के पति गायत्री प्रसाद प्रजापति अखिलेश यादव के नेतृत्व की सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे जो दुष्कर्म के आरोपों में जेल में बंद हैं। अमेठी में ‘महाराज’ कहे जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह को महाराजी के आंसुओं ने पीछे धकेल दिया। वह रो-रोकर अपने पति के लिए इंसाफ की गुहार लगाकर वोट मांग रही थीं।
शामली जिले की थाना भवन सीट पर गन्ना मंत्री सुरेश राणा को तीसरी बार जीतने से राष्‍ट्रीय लोकदल (रालोद) के अशरफ अली खान ने रोक दिया। अशरफ ने 10 हजार से अधिक मतों से राणा को हराया। अशरफ अली खान के परिवार का पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार से करीबी रिश्ता रहा है। अशरफ अली खान भी 2012 के चुनाव में मात्र 265 मतों से सुरेश राणा से पराजित हुए थे।
पूर्ववर्ती अमेठी रियासत से जुड़े डॉक्टर संजय सिंह को समाजवादी पार्टी की महाराजी प्रजापति ने पराजित कर दिया
मेरठ की सरधना सीट पर संगीत सोम को सपा के अतुल प्रधान ने 18 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है। अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले प्रधान इसके पहले चुनाव हार चुके थे। संगीत सोम 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान सुर्खियों में आये थे और उन पर सुरेश राणा के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई थी। बलिया की बांसडीह सीट पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी को भाजपा की केतकी सिंह ने हराया। केतकी पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में थीं और वह दूसरे नंबर पर रहीं। इस बार केतकी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था।
स्वामी प्रसाद मौर्य को करीब 45 हजार मतों के अंतर से हराया
योगी आदित्यनाथ की सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री पद से इस्तीफा देकर सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को पहली बार चुनाव मैदान में उतरे शिक्षक सुरेंद्र सिंह कुशवाहा ने करीब 45 हजार मतों के अंतर से हराया। कुशवाहा के पिता गंगा सिंह कुशवाहा पिछले दो बार से फाजिलनगर से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत रहे थे लेकिन पार्टी ने 75 साल से अधिक उम्र होने के कारण इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया था।
सीट बदलने के बावजूद स्‍वामी को हार का सामना करना पड़ा। स्‍वामी प्रसाद मौर्य की राह पर चल कर आयुष मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले धर्म सिंह सैनी सहारनपुर की अपनी परंपरागत नकुड़ सीट से महज 315 मतों से पराजित हो गये। सैनी को मुकेश चौधरी ने पराजित किया और इस वजह से मुकेश चौधरी सुर्खियों में  आ गये हैं।

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