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उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन के दौरान 11 की मौत

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि मेरठ जिले से चार लोगों की मौत की खबर है। कानपुर और बिजनौर में दो-दो लोगों की मौत हुई है।

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गयी, जिनमें आठ साल का बच्चा भी शामिल है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि मेरठ जिले से चार लोगों की मौत की खबर है। कानपुर और बिजनौर में दो-दो लोगों की मौत हुई है। वाराणसी में भगदड़ में आठ साल के एक बच्चे की मौत हो गयी। संभल और फिरोजाबाद में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। 
चार दिन की शांति के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में शनिवार को फिर विरोध प्रदर्शन हुए। एएमयू के गैर शैक्षणिक स्टाफ के सैकडों लोगों ने एएमयू शिक्षक संघ के साथ मिलकर प्रदर्शन किया। शुक्रवार शाम दिल्ली गेट थानाक्षेत्र के शाहजमाल में प्रदर्शनकारियों की बड़ी भीड को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हलका बल प्रयोग किया था। 
जनपद कासगंज में एनआरसी और नागरिकता कानून के विरोध के मद्देनजर एहतियातन शुक्रवार रात 11 बजे से इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है। पुलिस ने बताया कि विरोध प्रदर्शनों के चलते पुलिस प्रशासन पूरी तरह एलर्ट है। रात 11 बजे इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी है ताकि सोशल मीडिया के जरिए फैलायी जाने वाली अफवाहों को रोका जा सके। 
रामपुर में तनाव की खबरें आयी हैं। वहां लोग नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और शनिवार को बंद का भी आहवान किया गया है। 
नागरिकता कानून के खिलाफ शुक्रवार को बहराइच में फैले तनाव के दृष्टिगत पुलिस ने 2067 उपद्रवियों व प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में छह मुकदमे दर्ज किए हैं तथा 38 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है। कल की हिंसा में 10 पुलिस कर्मियों सहित करीब दो दर्जन लोगों को चोटें आई हैं। 
संवेदनशील माहौल व सोशल मीडिया के नाजायज इस्तेमाल की संभावना के मद्देनजर शहर में अगले आदेश तक इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है। फिलहाल शनिवार सुबह से शहर में शांति है। अधिकांश बाजार खुले हैं। पुलिस ने फ्लैग मार्च किया। 
पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने बताया कि शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पथराव के बाद शहर में तनाव फैल गया था। धारा 144 तोड़कर प्रदर्शन, उग्र नारेबाजी व पथराव कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों को काबू में लाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल कर बल प्रयोग करना पड़ा था। उपद्रवियों के पथराव से 10 पुलिस कर्मियों को चोटें आई हैं जिनका इलाज स्थानीय मेडिकल कालेज में कराया जा रहा है। 
भदोही में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने के सिलसिले में पुलिस ने शनिवार को 24 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह ने बताया कि शुक्रवार को मार्च निकाल रही भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया था और कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिये थे। 
उन्होंने बताया कि इस संबंध में 27 नामजद और 200 अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। 
सिंह ने कहा कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पूरे जिले में सुरक्षा व्यवस्था के मददेनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है । स्थिति तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण में है। 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता कानून पर फैलाये जा रहे बहकावे में नहीं आने की अपील करते हुए शनिवार को कहा कि उपद्रव और हिंसा की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है। योगी ने ट्वीट कर कहा, ”कानून को हाथ में लेकर उपद्रव व हिंसा की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है। नागरिकता कानून पर फैलाए जा रहे भ्रम और बहकावे में कोई भी न आए।” 
उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करने का दायित्व उत्तर प्रदेश सरकार का है और पुलिस हर व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वह अफवाहों में न पड़ें और उपद्रवी तत्वों के उकसावे में न आएं। उन्होंने शांति बहाली की अपील करते हुए पुलिस प्रशासन को नागरिकता कानून पर अफवाह फैलाकर लोगों को गुमराह करने और हिंसा फैलाने वाले तत्वों को ढूंढ निकालने के निर्देश दिए हैं। 
योगी ने दोहराया कि जहां भी सार्वजनिक संपत्ति को उपद्रवियों ने क्षति पहुंचायी है, उस संपत्ति की भरपाई, वीडियो फुटेज तथा अन्य पुष्ट प्रमाणों के आधार पर चिन्हित किए जा रहे उपद्रवियों की संपत्तियों को जब्त करके की जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि नागरिकता कानून किसी जाति, मत, मजहब के खिलाफ नहीं है बल्कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा की गारंटी देता है। इसके बाद भी इस प्रकार का हिंसक प्रदर्शन भारत के कानून को नकारने जैसा है। 
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने शुक्रवार के बताया था कि हिंसा में 50 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं । सिंह ने शनिवार को भी कहा कि पुलिस ने कहीं फायरिंग नहीं की है। जो भी मौतें हुई हैं, प्रदर्शनकारियों के बीच आपस में क्रास फायरिंग के चलते हुई हैं। 
उन्होंने संवाददताओं से कहा, ”सभी मौतें क्रास फायरिंग में हुई हैं और पोस्टमार्टम से यह बात साफ हो जाएगी।” सिंह ने कहा कि इस बारे में हम पूरी तरह पारदर्शी हैं। अगर हमारी गोली से किसी की मौत हुई है तो हम न्यायिक जांच कराएंगे और कार्रवाई करेंगे लेकिन हमारी ओर से ऐसा कुछ नहीं हुआ है। 
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं व बच्चों को ढाल बनाया था । ”मैंने खुद देखा कि लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान महिलाएं और युवतियां मौजूद थीं। मैंने उनसे जाने को कहा था। वाराणसी में एक बच्चे की भगदड़ में मौत हो गयी क्योंकि वह प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल था और जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो प्रदर्शनकारियों के बीच मची भगदड़ में बच्चे की मौत हो गयी । इन बच्चों को नहीं पता है कि नागरिकता क्या है और वे पत्थरों के साथ वहां मौजूद थे।” 
डीजीपी ने बताया कि राज्य के 75 जिलों में से एक चौथाई हिंसा के कारण प्रभावित हुए । हजारों लोग जुमे की नमाज के बाद एकत्र हुए और कानून तोड़ा । हमने धार्मिक नेताओं से संपर्क किया था और उन्होंने वायदा किया

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