प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पता चला है कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों का केरल के संगठन पीएफआई के साथ आर्थिक लेन-देन था। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया है कि पीएफआई से जुड़े 73 बैंक खातों से 120 करोड़ से ज्यादा की राशि कई लोगों, संस्थाओं के खाते में ट्रांसफर की गई।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की धनशोधन रोकथाम कानून के तहत 2018 से जांच कर रहे ईडी ने पता लगाया है कि संसद में पिछले साल कानून पारित होने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 73 बैंक खातों में कम से कम 120 करोड़ रुपये जमा किए गए।
सूत्रों ने ईडी की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के हवाले से कहा कि शक है और आरोप हैं कि पीएफआई से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों को प्रोत्साहित करने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ईडी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ इन निष्कर्षों को साझा किया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले दिनों पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे कुछ दिन पहले ही सीएए के खिलाफ राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी संदिग्ध संलिप्तता की बात सामने आई थी। इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि ईडी को पता चला है कि बैंक खातों में जमा किया गया धन कुछ विदेशी स्रोतों से भी आया और कुछ निवेश कंपनियों के खातों में भेजा गया।
भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की मंशा रखने वालों को मिल रही है शाहीन बाग प्रदर्शन की आड़ : रविशंकर प्रसाद
ईडी ने पीएफआई के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी की प्राथमिकी और आरोपपत्र को उसके खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज करने के लिए आधार बनाया। पीएफआई का गठन केरल में 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के तौर पर हुआ था।