आजाद भारत के इतिहास में पहली बार एक महिला को फांसी पर चढ़ाया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित महिला फांसीघर में अमरोहा की रहने वाली शबनम को फांसी दी जाएगी। इसके लिए फांसीघर में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। वहीं निर्भया के आरोपियों को फांसी पर लटकाने वाले मेरठ के पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुके हैं।
हत्या की आरोपी शबनम ने साल 2008 में अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने माता-पिता समेत 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। क्योंकि उनके पिता उसकी शादी प्रेमी के साथ नहीं होने देना चाहते थे। इस बात से खफा प्यार में पागल शबनम ने प्रेमी के साथ मिलकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा। हालांकि जेल अधीक्षक ने फांसी दिए जाने की जानकारी से इनकार किया है।
क्या था पूरा मामला
आरोपी शबनम को शिक्षामित्र में नौकरी के दौरान गांव के ही युवक सलीम से प्रेम संबंध हो गया। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन जाति अलग होने के कारण शबनम के पिता ने इसकी मंजूरी नहीं दी। इसके बाद भी शबनम आए दिन अपने घर पर ही सलीम से मिला करती थी। जिसके परिवार विरोध करता था।
14 अप्रैल 2008 की रात को भी शबनम ने अपने प्रेमी से मिलने के लिए परिवार के लोगों को नींद की गोलियां दे दीं। पूरे परिवार के सो जाने के बाद शबनम से सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार को जान से मरने की शाजिश रच दी। और उसी रात ही दोनों ने मिलकर परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से काट दिया।
अपराध को अंजाम देने के बाद सलीम फरार हो गया और शबनम ने गांव वालों के सामने पूरे परिवार की हत्या को लेकर एक कहानी गढ़ दी। उसने बताया कि बदमाशों ने उसके परिवार की हत्या कर दी। घटना के बाद घर का आलम ये था कि हर जगह सिर्फ खून-खून ही नजर आ रहा था। लेकिन शबनम की कहानी पर पुलिस को शक हुआ तो कड़ाई से पूछताछ के दौरान उसने सारा सच उगल दिया।