माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की कल होने वाली 45वीं बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। अगर सरकार ऐसा करती है तो केंद्र और राज्य को रेवेन्यू के मामले में जबर्दस्त ‘समझौता’ करना होगा। केंद्र और राज्य दोनों को इन उत्पादों पर कर के जरिये भारी रेवेन्यू मिलता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बैठक 11:00 बजे लखनऊ में शुरू होगी। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।
जानकारों के अनुसार लखनऊ में हो रही यह बैठक बहुत अहम होने वाली है क्योंकि इसमें कई विषयों के साथ ही जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने पर भी चर्चा हो सकती है। देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। ऐसे में पेट्रोल और डीजल को भी इसके दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी। जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था। लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था।