उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में साल 2010 में दो दलित बहनों को ज़िंदा आग के हवाले करने के मामले में स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट ने सात आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 18 दिसंबर को कोठीवाल नगर में एक दोहरे हत्याकांड का विरोध करने वाली भीड़ ने बहनों को जिंदा जला दिया था, जिसमें उनका भाई आरोपी था।
आदेश में स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट की न्यायाधीश संध्या चौधरी ने सात आरोपियों को अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (एडीजीसी) आनंद पाल सिंह द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर दोषी पाया। मामले में दोषी ठहराए गए लोगों में सतीश मदान, सागर भांडुला, बंटी मलिक, आशा सचदेवा, अमरजीत कौर, विनोद कक्कड़ और सानिया कोहली शामिल हैं।
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कोर्ट ने उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। एडीजीसी ने कहा कि उन्हें मुरादाबाद की जिला जेल भेज दिया गया है। ज्ञात हो कि घटना वाले दिन राजो के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई थी और घर में आग लगा दी थी। जब वह बाल-बाल बच गई, तो उसकी बेटियों गीता (22) और मोनू (20) को आग में जिंदा जला दिया गया था।
राजो के बेटे राकेश पर 9 दिसंबर, 2010 को एक डकैती के दौरान 30 वर्षीय महिला और उसकी आठ वर्षीय बेटी की हत्या का आरोप लगाया गया था। इसके बाद पुलिस ने राकेश और उसके भाई राजेश को गिरफ्तार कर लिया था।