इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह के खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज मुकदमे में राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि एमपी-एमएलए कोर्ट ने संजय सिंह खिलाफ प्रस्तुत आरोपपत्र पर संज्ञान लेने में कोई विधिक त्रुटि नहीं की है। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की एकल सदस्यीय पीठ ने दिया।
आदेश 21 जनवरी को पारित किया गया था जो एक फरवरी को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ। संजय सिंह ने एमपी-एमएलए कोर्ट के गत चार दिसम्बर को पारित आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उक्त आदेश विधि अनुकूल नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार का अभियेाजन स्वीकृति का आदेश विधि सम्मत नहीं है।
याचिका का विरोध करते हुए शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि अभियेाजन स्वीकृति आदेश में केवल सीआरपीसी की धारा-196 की जगह 197 लिख जाने मात्र से पूरी प्रकिया प्रभावहीन नहीं करार दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता के तर्क को मंजूर करते हुए संजय सिंह की याचिका खारिज कर दी।
बता दें कि 12 अगस्त 2020 को सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में एक पत्रकार वार्ता में कहा था कि यह सरकार एक जाति विशेष का पक्ष लेती है। उसके बाद उनके खिलाफ हजरतगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
विवेचना के बाद पुलिस ने सात सितंबर 2020 को सांसद के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया और अभियोजन की स्वीकृति भी प्राप्त कर ली। इसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने चार दिसंबर, 2020 को आरोप पत्र का संज्ञान लेकर सांसद संजय सिंह को समन जारी कर दिया जिसको उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।