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निर्भया केस लड़ने वाले वकील एपी सिंह और सीमा समृद्धि कुशवाहा, अब लड़ेंगे हाथरस का केस

हाथरस मामले में अब कानूनी पैरवी के लिए हाथरस के कथित गैंगरेप के आरोपियों की ओर से वकालत एपी सिंह करेंगे जिन्होंने निर्भया के बलात्कारियों का कोर्ट में कानूनी बचाव किया था।

हाथरस में एक दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप और उसके बाद पुलिस प्रशाशन द्वारा बिना परिवार की सहमति लिए युवती के शव को जलाए जाने को लेकर देश में आक्रोश फैला हुआ है। सियासी दलों के साथ-साथ आम जनता भी पुलिस और सरकार से सवाल कर रही है। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी द्वारा SIT का गठन किया जा चुका है, इसके बावजूद आक्रोश थमता नजर नहीं आ रहा है। 
अब यह खबर सामने आ रही है कि हाथरस मामले में अब कानूनी पैरवी के लिए हाथरस के कथित गैंगरेप के आरोपियों की ओर से वकालत एपी सिंह करेंगे जिन्होंने निर्भया के बलात्कारियों का कोर्ट में कानूनी बचाव किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री मानवेन्द्र सिंह की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हाथरस के आरोपियों का केस एपी सिंह लड़ेंगे। इसके साथ ही आगे कहा गया है कि एपी सिंह की फीस अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की तरफ दी जाएगी।
उन्होंने लिखा कि हाथरस केस में एससी-एसटी कानून का पूर्ण रूप से दुरुपयोग कर राजपूत समाज को बदनाम किया जा रहा है। इसलिए हाथरस केस में मामले को दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए एपी सिंह को वकील नियुक्त किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दिलाने वाली अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाहा अब हाथरस में दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीड़ित परिवार का मुकदमा लड़ेंगी। इसके लिए पीड़ित परिवार ने भी सहमति दे दी है और जरूरी दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
गौरतलब है कि हाथरस के चंदपा क्षेत्र में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की घटना हुयी थी। हमले में लड़की की रीढ़ की हड्डी टूट गयी थी। लड़की को पहले स्थानीय अस्पताल फिर अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालत की गंभीरता को भांपते हुए उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गयी। 
बवाल की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन ने 30 सितंबर को तड़के करीब ढाई बजे पीड़ित के शव का एक खेत में अंतिम संस्कार कर दिया। इस बारे में परिजनों के विरोध को दरकिनार कर दिया गया। इस घटना के बाद प्रदेश में राजनीतिक उबाल आ गया और सपा, बसपा और कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने सरकार को घेरा। 
मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में सरकार से घटना की रिपोर्ट तलब की। इससे पहले सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जिसकी पहली रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

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