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आगरा : मरीजों पर मॉक ड्रिल करने वाला पारस अस्पताल सील, जांच को लेकर प्रशासन सख्त

वायरल वीडियो पर गंभीर रूख अपनाते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिये हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है जिसके बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के आगरा में पारस अस्पताल के संचालक डॉ अरिंजय जैन के वायरल वीडियो की जांच के आदेश दिये गये हैं वायरल वीडियो में डॉ जैन की आक्सीजन की कमी का हवाला देते हुये कह रहे हैं कि मॉकड्रिल के जरिये यह पता करते है कि पांच मिनट के लिये आक्सीजन आपूर्ति बाधित करने से कितने मरीजों की जान पर संकट आ सकता है। इस वायरल वीडियो पर गंभीर रूख अपनाते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिये हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है जिसके बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है। 
डा जैन ने वायरल वीडियो को साजिश बताते हुये कहा कि मॉकड्रिल से उनकी मंशा अस्पताल में भर्ती मरीजों का आक्सीजन स्तर मापना था कि किस मरीज को कितनी मात्रा में आक्सीजन की जरूरत हो सकती है क्योंकि उस अवधि में आक्सीजन का संकट था। वीडियो में डॉ जैन कह रहे है ‘‘ 25-26 अप्रैल को जब कोविड पूरे उफान पर था, तब मेरे अस्पताल में 96 मरीज थे। आगरा में भी हाल खराब थे। हमने सोचा- मेरे बॉस अब समझ जाओ..। डिस्चार्ज शुरू करो। आक्सीजन कहीं नहीं है, आपको बता दूं। कुछ लोग पेंडुलम बने रहे, नहीं जाएंगे-नहीं जाएंगे। मैंने कहा- छोड़, अब छांटो जिनकी आक्सीजन बंद हो सकती है। एक मॉकड्रिल करके देख लो, समझ जाएंगे, कि कौन मरेगा या नहीं मरेगा। 
मॉकड्रिल की तो छटपटा गए, नीले पड़ने लगे और जब, आक्सीजन रोकी तो 22 छंट गए।’’ सोमवार शाम वायरल इस वीडियो पर गंभीर रूख अपनाते हुये आगरा जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई के आदेश दिये हैं। उधर, जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि आगरा में आक्सीजन की कोई कमी नहीं थी और 24 से 26 अप्रैल के बीच पारस अस्पताल को पर्याप्त आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की गयी थी। 
श्री सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन के रिकार्ड के अनुसार अस्पताल में 26 और 27 अप्रैल को 22 से काफी कम मौते हुयी थी जबकि मृतक मरीजों के रिश्तेदारों का कहना है कि आक्सीजन की कमी के कारण हुयी मौतों की सूची में उनके मरीजों का नाम दर्ज नहीं किया गया है और अस्पताल में आक्सीजन के कारण कई मरीजों को अपनी जाने गंवानी पड़ थी। गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर में आगरा का यह अस्पताल ब्लैक लिस्टेड हुआ था। उस पर कोरोना फैलाने का मुकदमा दर्ज किया गया था।

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