लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि केन्द्रीय बजट निराशाजनक, दिशाहीन और उद्देश्यहीन है।
यादव ने कहा कि गरीबों, किसानों, नौजवानों, नौकरी पेशा लोगों और महिलाओं के लिए बजट में कुछ भी नहीं है। मध्यमवर्ग इस बजट से बुरी तरह चोटिल होगा क्योंकि इसमें एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन लेने की प्रक्रिया अपनाई गई है। वस्तुतः यह भ्रमित करने वाला बजट है जिससे जनता को गुमराह करने की साजिश की गई है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बजट से पेट्रोल-डीजल के दामों में अतिरिक्त सेस लगने से 2.50 रूपए प्रतिलीटर की वृद्धि से परिवहन मंहगा होगा तो जीवनोपयोगी चीजों के दाम भी बढ़ेंगे। घरेलू बजट असंतुलित होगा। किसान डीजल का सबसे ज्यादा उपयोग करता है, उसको आर्थिक नुकसान होगा।
अखिलेश ने कहा कि केन्द्रीय बजट ने जन अपेक्षाओं की अनेदखी की है। गरीबों को गरीबी से उबारने की इसमें कोई कोशिश नहीं है। किसानों की कर्जमाफी, उनकी आय में बढ़ोत्तरी के उपायों के अलावा खाद, बीज, कीटनाशक की उपलब्धता पर भाजपा सरकार ने चुप्पी साध रखी है। किसानों की आत्महत्या रूक नहीं पा रही है।
नौजवानों को रोजगार देने के नाम पर स्टार्टअप, मुद्रालोन जैसी पुरानी घिसीपिटी योजनाओं की ही चर्चा है। कोई ठोस योजना नहीं है। नारी सशक्तीकरण की दिशा में भी कोई ठोस प्रयास नहीं है। उनकी सुरक्षा, वेतनविसंगतियों और कार्यस्थल में लैंगिक असमानता रोकने का कोई जिक्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने जनता के इस्तेमाल की कई चीजों को भी महंगा कर दिया है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। विदेशी किताबें महंगी कर उसने शोध और शिक्षा क्षेत्र के विकास में बाधा डाली है। रेलवे, हवाई अड्डे में निजी भागीदारी और मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देकर भाजपा सरकार बड़े पूंजी घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हाथों में राष्ट्रीय सम्पदा सौंपने काम करेगी।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि सच तो यह है कि जब भाजपा सरकार के पांच वर्षों में कुछ नहीं हुआ तो कैसे अब आशा की जा सकती है कि वह अपने वादे निभाने और जनआकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी। केन्द्र सरकार ने अभी तो जनविश्वास पर कुठाराघात करने का काम किया है।
अखिलेश यादव ने कहा कि फिलहाल तो भाजपा के बजट से बाजार में उदासी है। सिर्फ प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और सत्ताधारी नेता ही बजट का गुणगान कर रहे हैं। उन्हें सावन में हरा-हरा ही दिखता है लेकिन सच्चाई को बादलों के घटाटोप में छुपाया नहीं जा सकता।