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कृषि कानूनों को लेकर हमलावर हुए अखिलेश, कहा- BJP की काली बुनियाद ने कृषि अर्थव्यवस्था को किया चौपट

अखिलेश ने कहा, बीजेपी सरकार में प्रदेश में सबसे ज्यादा हालत किसान की ही खराब हुई है। आर्थिक रूप से उस पर बहुत चोट हुई है। एक साल पहले काले कृषि कानूनों से बीजेपी ने जो काली बुनियाद रखी उससे पूरी कृषि अर्थव्यवस्था ही चौपट हो गई।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि आर्थिक रूप से बदहाल किसानों की एकता राज्य में बीजेपी के दंभ को चकनाचूर कर देगी।
सपा अध्यक्ष ने रविवार को बताया कि बीजेपी सरकार में प्रदेश में सबसे ज्यादा हालत किसान की ही खराब हुई है। आर्थिक रूप से उस पर बहुत चोट हुई है। एक साल पहले काले कृषि कानूनों से बीजेपी ने जो काली बुनियाद रखी उससे पूरी कृषि अर्थव्यवस्था ही चौपट हो गई। इसके विरोध में किसानों का बड़ा आंदोलन जारी है। आज भी किसान का आक्रोश कम नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि दो गुनी आय का सपना किसानों को वोट हथियाने वाली बीजेपी सरकार में किसानों की उनकी फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिला। किसानों को बहकाने के लिए एमएसपी का राग तो बीजेपी सरकार ने खूब गाया लेकिन हकीकत में किसानों की फसल की खरीददारी कहीं एमएसपी पर नहीं हुई। गेहूं की एमएसपी 1975 रूपये प्रति कुंतल केवल विज्ञापनों में मिलती रही, हकीकत में तो औने-पौने दामों पर बिचौलियों के हाथ किसान को गेहूं बेचना पड़ा। इसके पूर्व धान की फसल में भी किसान की लूट हुई।
अखिलेश यादव ने कहा कि गन्ना किसान तो प्रदेश में बुरी तरह मार खाया हुआ है। पेराई सीजन में भी उसके गन्ने की खरीद नहीं हुई। चीनी मिलों पर किसानों का 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का आज भी बकाया है। बकाये पर ब्याज का प्रावधान भी है पर जब मूलधन ही नहीं मिल रहा है तो ब्याज कौन देगा। किसान की कहीं सुनवाई नहीं है। कहने को किसान समृद्धि योजना भी चालू है लेकिन यह किसान को धोखा देने की नयी भाजपाई साजिश है। 
उन्होंने कहा, खाद की बोरियों की तौल में कमी करके और उसके दाम बढ़कर किसान के साथ खेल किया जा रहा है। डीजल के दाम बढ़ने से किसान तो प्रभावित होता ही है, परिवहन महंगा होने से खाद्य वस्तुएं भी महंगी होने लगती है। एक तीर से अन्नदाता और अन्य उपभोक्ता दोनों को शिकार बनाने का यह भाजपाई षड्यंत्र अब जनता से छुपेगा नहीं।

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