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अखिलेश यादव ने पीएफ घोटाले के लिए योगी सरकार को ठहराया जिम्मेदार, कहा- मुख्यमंत्री दें इस्तीफा

अखिलेश ने कहा कि सपा की मांग है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत जज से कराई जाए।

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजली विभाग के कर्मचारियों की भविष्य निधि का गलत तरीके से निवेश कराए जाने के आरोपों पर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार ही जिम्मेदार है और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने 2,600 करोड़ रुपये के इस घोटाले का दरवाजा अपनी सरकार में खोले जाने के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के आरोप का जवाब देते हुए प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सपा के शासनकाल में कर्मचारियों की भविष्य निधि का एक भी पैसा डीएचएफएल में निवेश नहीं किया गया। 
उन्होंने कहा कि जिस समय डीएचएफएल में पैसा निवेश किया गया उस वक्त प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं थी। इस घोटाले के मामले में जो मुकदमा दर्ज हुआ है उसमें भी यही बात लिखी है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि इस घोटाले के लिए सिर्फ प्रदेश की भाजपा सरकार और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोषी हैं। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।मुख्यमंत्री चाहते होंगे कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को हटा दिया जाए लेकिन उनके अंदर ऐसा करने की हिम्मत ही नहीं है। 
ज्ञातव्य है कि ऊर्जा मंत्री ने प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव पर यह घोटाले के लिए दरवाजा खोलने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अखिलेश की सरकार में कर्मचारी भविष्य निधि को डीएचएफएल में निवेश करने की शुरुआत की गई थी। शर्मा ने अखिलेश पर इस मामले में साठगांठ के गंभीर इल्जामात भी लगाए थे। अखिलेश ने कहा कि सपा की मांग है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत जज से कराई जाए। जब तक यह जांच नहीं होगी तब तक सच्चाई बाहर नहीं आ सकती है क्योंकि सरकार ने सच्चाई को छुपाने के लिए जल्दबाजी में सीबीआई जांच की सिफारिश की है। 
अखिलेश ने इस मामले में बिजली विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि अगर वह अफसर अपने पद पर बैठे रहेंगे तो निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। अखिलेश ने दावा किया कि योगी सरकार अपने अंदर चल रही लड़ाई को छुपाना चाहती है। आज अगर सत्ताधारी दल के विधायकों को खड़ा करके पूछ लिया जाए कि वह किसके साथ हैं तो 300 से ज्यादा ऐसे निकलेंगे जो मुख्यमंत्री को नहीं चाहते। 
इसके पूर्व, मंगलवार को ही पीएफ घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता और तत्कालीन निदेशक (वित्त) एवं सह ट्रस्टी सुधांशु द्विवेदी को शनिवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि के करीब 2600 करोड़ रुपये का अनियमित तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किए जाने का खुलासा हुआ है। सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। केंद्रीय एजेंसी के जांच अपने हाथ में लेने तक आर्थिक अपराध शाखा इसकी तफ्तीश कर रहा है। 
इस बीच, इस घोटाले के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं ने राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी परियोजना एवं जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की है कि पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा धनराशि के भुगतान की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ले और घोटाले के दोषी पावर कारपोरेशन व ट्रस्ट के अध्यक्ष को उनके पद से तत्काल हटाकर गिरफ्तार किया जाये जिससे घोटाले की निष्पक्ष जांच हो सके। संघर्ष समिति ने यह भी ऐलान किया है कि प्रान्तव्यापी विरोध सभाओं का क्रम कल भी जारी रहेगा। 

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