केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों को आज एक महीना पूरा हो चुका है। इस दौरान किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, जोकि बेनतीजा रही। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को बीजेपी सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक बताया।
अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘’आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है। बीजेपी अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मजदूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है। किसान-आंदोलन बीजेपी सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है।’’
आज कृषि-कानूनों के ख़िलाफ़ हो रहे आंदोलन का एक महीना पूरा हो रहा है. भाजपा अपने प्रिय अमीर मित्रों व पूंजीपति प्रायोजकों का समर्थन करते हुए ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो किसान, मज़दूर, निम्न व मध्यवर्ग सबके विरुद्ध जाता है.
किसान-आंदोलन भाजपा सरकार की विफलता का जीवंत स्मारक है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 25, 2020
उल्लेखनीय है देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के आंदोलन को शुक्रवार को एक महीना पूरा हो गया। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी के साथ-साथ उनकी अन्य मांगें नहीं मानेगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
बता दें कि सरकार ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था आगे भी जारी रखने का लिखित आश्वासन देने की बात कही है। मगर, भाकियू नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि इस पर नया कानून बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि पराली दहन समेत कुछ अन्य मसले भी हैं जिनका वह समाधान चाहते हैं।