जौहर यूनिवर्सिटी मामले में रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने रामपुर स्थित मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन अधिगृहित करने की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने, उस जमीन पर निर्माण के संबंध में एसडीएम द्वारा 16 मार्च, 2020 को सौंपी रिपोर्ट और जमीन राज्य सरकार को देने के लिए एडीएम (प्रशासन) द्वारा 16 जनवरी, 2021 को पारित आदेश रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने कहा कि संबंधित एसडीएम की रिपोर्ट के मुताबिक, उस जमीन पर एक मस्जिद का निर्माण कराया गया, जबकि जमीन केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए थी। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार, यह राज्य सरकार द्वारा दी गई अनुमति का उल्लंघन है।
हाई कोर्ट ने कहा, “एडीएम रामपुर के आदेश में किसी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। यह एक ऐसा मामला है जहां 2005 में लाए गए एक कानून के तहत एक शैक्षणिक संस्थान की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी गई और साथ ही भूमिधरी और ग्राम सभा की जमीन पर एक पूर्व कैबिनेट मंत्री द्वारा अतिक्रमण किया गया।”
हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 104/105 के तहत कार्रवाई के लिए पारित उक्त आदेश सही है और 12.50 एकड़ जमीन को छोड़कर बाकी जमीन राज्य सरकार में निहित है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में राज्य सरकार ने मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी अधिनियम पारित किया था जिससे इस यूनिवर्सिटी के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
इसके बाद, राज्य सरकार ने ट्रस्ट को 12.5 एकड़ की सीमा से परे जाकर 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की अनुमति दी थी और साथ ही कुछ शर्तें लगाई थीं जिनमें एक शर्त यह थी कि उस जमीन का उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए किया जाएगा। कानून के मुताबिक, यदि शर्त का उल्लंघन किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा दी गई अनुमति वापस ले ली जाएगी।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2005 में कुछ शर्तों पर इस यूनिवर्सिटी का निर्माण करने के लिए जमीन दी गई थी और इन शर्तों का पालन नहीं करने के लिए यूपी सरकार ने जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की है। आजम खान जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा ट्रस्ट की सचिव तथा बेटा अब्दुल्ला आजम खान इस ट्रस्ट के सक्रिय सदस्य हैं।