उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में मस्जिद ढहाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की रिट याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। याचिका में बाराबंकी में राम स्नेही घाट तहसील पर मस्जिद को गिराए जाने को चुनौती दी गई थी। जिला प्रशासन ने 17 मई को मस्जिद को ‘अवैध ढांचा’ बताते हुए जमींदोज कर दिया था।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप माथुर ने कहा कि कोर्ट ने मंगलवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। माथुर ने कहा, “कोर्ट ने संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर सरकार से विस्तृत जवाब मांगेगी। हम आदेश का इंतजार कर रहे हैं।”
बोर्ड ने एक बयान जारी कर कार्रवाई को अवैध और इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देश का उल्लंघन बताया था। जिला प्रशासन ने हालांकि जोर देकर कहा कि वे मामले में कानूनी रूप से आगे बढ़े हैं। विचाराधीन मस्जिद बानी कड़ा गांव में स्थित था, जिसे स्थानीय रूप से गरीब नवाज मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर की थी, जिसमें राम स्नेही घाट तहसील परिसर में बाराबंकी प्रशासन द्वारा 100 साल पुरानी एक मस्जिद को अवैध रूप से गिराए जाने का विरोध किया गया था। याचिका में कहा गया है कि मस्जिद 1968 से अस्तित्व में थी और बोर्ड के साथ पंजीकृत थी।
बोर्ड ने हाई कोर्ट द्वारा 24 अप्रैल को पारित एक आदेश का भी उल्लेख किया, जिसमें 31 मई तक बेदखली या विध्वंस के आदेश पर रोक लगाई गई थी। याचिका में कहा गया है कि मस्जिद ब्रिटिश काल में बनी थी और 1968 में बोर्ड के साथ पंजीकृत हुई थी।