उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़े साइबर ठगी के मामलों पर पुलिस प्रशासन की लापरवाही पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने लखनऊ के पुलिस अधीक्षक (साइबर सेल) को एक साल के भीतर राज्य में साइबर धोखाधड़ी में दर्ज एफआईआर की संख्या, वर्तमान स्थिति जांच, फ्रॉड निकासी की कुल राशि, पीड़ित को वसूल की गई धनराशि और इस प्रकार की धोखाधड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे प्रयास का उल्लेख करते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने साइबर अपराध और नागरिकों के बैंक खातों से धोखाधड़ी से पैसे निकालने को गंभीरता से लिया है। इसके अलावा, पुलिस अधीक्षक (अपराध / साइबर सेल) प्रयागराज को भी पिछले एक साल में जिले में की गई ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में इसी तरह के विवरण का उल्लेख करते हुए एक पूरा चार्ट प्रदान करने का निर्देश दिया गया है।
हाई कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बैंक खाते से धोखाधड़ी से पैसे निकालने के मामले में गिरफ्तार किए गए नीरज मंडल के एक जमानत आवेदन पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कहा, यह समाज के खिलाफ अपराध है और पुलिस अधिकारी इस प्रकार की धोखाधड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं।
हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बैंक खाते से फर्जी तरीके से पैसे निकालने के मामले में आवेदक नीरज मंडल के खिलाफ 8 दिसंबर 2020 को प्रयागराज के कैंट थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, जिले के साथ-साथ राज्य स्तर पर प्रचलित पैसों की धोखाधड़ी से निकासी के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर असंतोष व्यक्त किया।
उपरोक्त टिप्पणी करते हुए, अदालत ने एसपी (साइबर सेल), लखनऊ और प्रयागराज को मामले में अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया और सुनवाई की अगली तारीख 9 जुलाई, 2021 तय की। इसके अलावा कोर्ट ने एसपी (साइबर सेल), प्रयागराज और कैंट थाने के एसएचओ को अगली तारीख पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने पिछले हफ्ते यह फैसला सुनाया लेकिन अब इसे कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।