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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश के तहत कार्रवाई पर लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महिला का कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास के लिए हाल ही में लाए गए अध्यादेश के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई पर पुलिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महिला का कथित तौर पर धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास के लिए हाल ही में लाए गए अध्यादेश के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई पर पुलिस पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने नदीम नाम एक मजदूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य की पुलिस को याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं करने का निर्देश दिया। नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर जिले के मंसूरपुर पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। 
याचिकाकर्ता के वकील एसएफए नकवी ने दलील दी कि यह अध्यादेश भारत के संविधान के खिलाफ है और इसके प्रावधानों के तहत शूरू की गई किसी भी तरह की आपराधिक कार्यवाही रद्द की जानी चाहिए। नदीम ने अपने खिलाफ आईपीसी की धारा 504, 506 और 120 बी और गैर कानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश, 2020 की धारा 3/5 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। 
एफआईआर में नदीम के खिलाफ आरोप है कि वह शिकायतकर्ता का परिचित था और अक्सर उसके घर आया जाया करता था। शिकायतकर्ता की पत्नी से जान पहचान का कथित रूप से नाजायज फायदा उठाकर उसने धर्म परिवर्तन के लिए उसे राजी करने का प्रयास किया ताकि वह उससे शादी कर सके। इस उद्देश्य के लिए नदीम ने एक मोबाइल फोन खरीद कर शिकायतकर्ता की पत्नी को फोन उपहार में दिया। 
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा, “हमारे समक्ष कोई ऐसा तथ्य पेश नहीं किया गया जिससे साबित हो कि याचिकाकर्ता द्वारा शिकायतकर्ता की पत्नी का धर्म परिवर्तन कराने के लिए कोई बलपूर्वक प्रक्रिया अपनाई गई हो।” अदालत ने कहा, “पीड़िता (शिकायतकर्ता की पत्नी) वयस्क है जो अपना भला बुरा समझती है। वह और याचिकाकर्ता के पास निजता का मौलिक अधिकार है और उन्हें अपने कथित रिश्तों के परिणामों की भलीभांति जानकारी है।” 

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