प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पिछले वर्ष 15 दिसंबर को सीएए के विरोध में प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में बुरी तरह घायल छह छात्रों को मुआवजा देने सहित एनएचआरसी की विभिन्न सिफारिशों का अनुपालन करने का प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी एवं एएमयू के कुलपति और रजिस्ट्रार को सोमवार को निर्देश दिया।अदालत ने संबद्ध अधिकारियों को इस आदेश का अनुपालन करने और सुनवाई की अगली तारीख तक एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 25 मार्च निर्धारित की गई है।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने प्रयागराज के मोहम्मद अमन खान द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने इस याचिका में पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाया है। इस याचिका में अदालत से हिंसा की न्यायिक जांच के लिए अदालत की निगरानी में एक समिति गठित करने और पुलिस द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 12 से 15 दिसंबर तक छात्रों को जबरदस्ती रोककर रखने की जांच कराने सहित कई निर्देश पारित करने का अनुरोध किया गया है।
इससे पूर्व उच्च न्यायालय ने 8 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया था जिस पर छह सदस्यीय टीम ने जांच पूरी कर आयोग को रिपोर्ट सौंपी और बाद में इस रिपोर्ट की एक प्रति अदालत को भेजी गई।आयोग द्वारा की गई सिफारिशों में पुलिस लाठीचार्ज में बुरी तरह घायल छह छात्रों को मुआवजा देने और अनावश्यक लाठीचार्ज और एएमयू परिसर में मोटरसाइकिलों को नुकसान पहुंचाते सीसीटीवी कैमरे में कैद पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल है।
एनएचआरसी ने यह सिफारिश भी की है कि पुलिस बल, सीआरपीएफ और आरएएफ को संवेदनशील बनाने के लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे इस तरह की स्थितियों से निपटने में वे पेशेवर रुख अपना सकें। अदालत ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि उसके छह जनवरी के आदेश के तहत गठित विशेष जांच टीम सभी संबंधित मामलों की एक समयसीमा में जांच करेगी।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को विद्यार्थियों के साथ बेहतर संचार की व्यवस्था स्थापित करने को कहा गया जिससे छात्र बाहरी तत्वों से प्रभावित न हों। साथ ही विश्वास बहाली के उपाय करने को भी कहा गया जिससे इस तरह की घटनाएं भविष्य में दोबारा घटित न हों।