भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बुधवार को एक दिन का लखनऊ प्रवास शाह के कठिन दिनों में से एक साबित हुआ। वैसे तो अमित शाह इस दौरे पर 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हुए सपा-बसपा गठबंधन की थाह और प्रदेश में सरकार के एक साल के कामकाज की समीक्षा करने आए थे, लेकिन यहां सरकार में छिड़े अन्तर्द्वंद्व और कुछ मंत्रियों के कामकाज ने उन्हें निराश किया। इस बैठक से संकेत निकले हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो कुछ कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
अमित शाह ने सरकार को एकता का पाठ पढ़ाते हुए आपसी सामंजस्य और समन्वय पर बल दिया। यह समझाने, सहयोगी दलों के मुखिया लोगों से मिलने और संगठन के शीर्ष नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श करने में साढ़े नौ घंटे लग गए। सीएम आवास पर उनकी बैठक एक बजे शुरू हुई और 10.30 पर सीएम आवास से निकल कर एयरपोर्ट गए।
यही नहीं वह बैठक इतने उलझे कि प्रदेश कार्यालय पर पार्टी के प्रदेश महामंत्रियों के साथ बैठक भी सीएम आवास पर ही कर ली गई। उन्हें दिल्ली रवाना होने में ढाई घंटे विलंब हो गया। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पांच कालीदास मार्ग पर आए अमित शाह जब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डा.दिनेश शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा.महेन्द्र नाथ पाण्डेय, महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल और प्रदेश के सह प्रभारी शिव प्रकाश के साथ बैठ कर सरकार की उलझी गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे, तो उसी समय भाजपा के विधायक व कथित गैंगरेप आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर का सवाल भी मुंह बाए खड़ा था। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने साफ कहा कि बिना विलंब किए आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करें।
कोर ग्रुप के साथ बैठक में वे सरकार में शीर्ष पर बैठे नेताओं के आपसी तालमेल पर जोर देते रहे। उन्होंने साफ किया कि अगर एक होकर नहीं रहे तो विपक्षी हावी होंगे। शाह खासतौर से आधा दर्जन मंत्रियों के कामकाज से खासे नाराज दिखे लेकिन बाकी अन्य मंत्रियों को पुचकारा भी नहीं। उन्होंने लगभग सभी मंत्रियों की क्लास ली। भाजपा अध्यक्ष ने कुछ मंत्रियों को लफ्फाजी न कर जमीन पर उतर कर काम करने की नसीहत दी ताकि जनता और विधायकों दोनों को संतुष्ट किया जा सके।
शाह ने बाद में सांगठानिक कार्यों पर भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री (संगठन) समेत महामंत्रियों के साथ भी विचार-विमर्श किया। इसके अलावा विधान परिषद की 13 सीटों में से भाजपा के खाते में जाने वाली 11 सीटों के प्रस्तावित प्रत्याशियों के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने प्रत्याशियों के चयन में जातीय समीकरण को तवज्जो देने की हिदायत दी। साथ ही मंत्रिमंडल के पुनर्गठन पर अमित शाह ने अपनी हरी झंडी दे दी है। हिदायत दी है कि मंत्रिमंडल के साथ ही संगठन में भी साफ सुथरी छवि के लोगों को शामिल किया जाए।
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