उत्तर प्रदेश के अमरोहा में मदरसे की आड़ में एक निजी स्कूल को चलाया जा रहा था। इतना ही नहीं 1999 से पंजीकृत ये मदरसा सरकार से आर्थिक सहायता भी ले रहा था। अमरोहा प्रशासन को जब इस बात की भनक लगी तो डीएम के निर्देश पर टीम ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
मौके पर अधिकारियों के साथ पहुंचे एसडीएम अनिल कुमार ने जब मदरसे की छानबीन की तो पाया वहां ना मरदसा है, ना स्कूल और ना ही बच्चे। SDM अनिल कुमार ने कहा कि यहां कोई भी क्लास, टीचर और अटेंडेंस रजिस्टर नहीं है। ये नियम के विरुद्ध चल रहा है। अभी इसकी संस्तुति की जाएगी कि अब तक इन्हें कितनी सहायता प्राप्त हुई है, किस आधार पर मान्यता दी गई? जो भी सरकारी धन का अपव्यय हुआ है उसकी वसूली की कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी बाल कृष्ण त्रिपाठी के विशेष निर्देश में तहसील अमरोहा के अंतर्गत गैर मान्यता प्राप्त चल रहे मदरसा अल जाफरिया मिसवाह सोसाइटी मौहल्ला चाहगौरी अमरोहा द्वारा संचालित मदरसा अल जाफरिया का निरीक्षण किया गया। संस्था दस मार्च 1999 से पंजीकृत है। ‘
निरीक्षण के दौरान देखा कि वहां एमएजेएफ पब्लिक स्कूल का बोर्ड लगा है। विद्यालय में संचालक के परिवार निवास करते हैं, जो कि घर जैसा है। मदरसे के नाम पर केवल सरकार से पैसा लिया जा रहा है। बरामदे में कक्षा संचालित हो रही है।जिलाधीकारी बाल कृष्ण त्रिपाठी ने बताया की प्रदेश में गैर सरकारी मदरसों के सर्वे के लिए सरकार ने एक फॉर्मेट तैयार किया है। जिस पर जनपद अमरोहा की सभी तहसील के अंतर्गत आने वाले मदरसों की 12 बिंदुओं पर जांच की जा रही है। जो मदरसा शासन द्वारा निर्धारित 12 बिंदुओं पर खरे नहीं उतरते हैं। वह संचालित नहीं हो सकेंगे। उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।