बेशक कुछ महिला मतदाताओं की पहचान उनके बुर्के या हिजाब से होती हो लेकिन पहली दफा मतदान करने वाली इन युवतियों का कहना है कि वे ऐसी सरकार का चुनाव करना चाहती है जो उनकी जिंदगी की उलझनों को समझे और उनकी जिंदगी को वास्तविक धर्मनिरपेक्षता और समावेशी भारत की तरफ ले जाये। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सबसे बड़े महाविद्यालय एएमयू वूमेन्स कॉलेज में पढ़ने वाली इन मतदाताओं की आंखों में विकसित भारत का सपना है।
वे परंपरा और समसामयिकता के बीच तालमेल बैठा कर चल रही है। पहली दफा मतदान करने को उत्सुक दानिया (18 वर्ष) ने कहा, ‘‘मैं धर्मनिरपेक्ष सरकार के लिए वोट करना चाहती हूं। यह मेरा पहला चुनाव है। यह आम धारणा है कि यदि आप मुस्लिम हैं तो आप धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकते। मैं इस सोच को बदलने के लिए वोट डालना चाहती हूं।’’
दानिया अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले उन तीन हजार छात्र-छात्राओं में शामिल है जो लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में 18 अप्रैल को पहली दफा मतदान करेंगे। हिजाब पहनने वाली 21 वर्षीय जरीन का कहना है कि उनकी पोशाक कभी कभी उन पर रूढ़िवादी होने का तमगा लगाती है और इसके खिलाफ वह लड़ रही है।
अंग्रेजी ऑनर्स की छात्रा ने कहा, ‘‘वर्तमान सरकार के अंतर्गत मैं अलीगढ़ में बाहर निकलने से डरती हूं। मुझे अनुभव होता है कि मैं अपने समुदाय के बाहर सुरक्षित नहीं हूं लेकिन मैं यात्रा करना चाहती हूं। मैं धर्मनिरपेक्ष सरकार के लिए वोट करना चाहती हूं जो मेरे अपने देश में मुझे सुरक्षित अनुभव कराये।’’ अंग्रेजी ऑनर्स की 20 वर्षीय छात्रा फौजिया भी हिजाब पहनती है और उनकी पिछले हफ्ते शादी हुई है। लेकिन वह 19 अप्रैल को वोट डालने के बाद अपने पति के साथ दिल्ली जायेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘….मैं विकास के लिए वोट डालना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरे वोट से चुनी गयी सरकार हमारे बीच में धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करे।’’