योगी आदित्यनाथ कैबिनेट से इस्तीफा दे चुके स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ एमपी-एमएलए ने गिरफ्तारी वररेंट जारी किया है। इस वारंट के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य को 24 जनवरी को अदालत में पेश होना होगा नहीं तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। बता दें कि 2014 में मौर्य ने एक विवादित बयान देते हुए कहा था कि किसी को भी पूजा नहीं करनी चाहिए, जिसके बाद उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था।
धार्मिक भावनाएं आहत करने का है आरोप
धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में मौर्य को आज अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। उस वक्त मौर्य मायावती की बसपा में शामिल थे, उन्होंने एक सभा में कहा था, “शादी के दौरान देवी गौरी या भगवान गणेश की पूजा नहीं की जानी चाहिए। यह दलितों और पिछड़ी जातियों को गुमराह करने और गुलाम बनाने के लिए उच्च जाति-प्रभुत्व वाली व्यवस्था की साजिश है।”
2016 में भी जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट
धार्मिक भावनाएं आहात मामले में गिरफ्तारी वारंट की टाइमिंग पर सवाल जरूर खड़े हो सकते हैं, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ यह कोई पहला वारंट जारी नहीं हुआ है, दरअसल 2016 में भी इसी मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया था लेकिन स्वामी ने हाई कोर्ट से इस पर स्टे ले लिया था। बताते चलें कि मंगलवार यानी आज ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़ने और 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने का ऐलान किया है।
मौर्य के अलावा कई और नेता भी छोड़ सकते हैं BJP का साथ
मौर्य के अलावा कई और मंत्री बीजेपी का दामन छोड़ सपा में शामिल होने की बात कर रहे हैं। इसी कड़ी में दारा सिंह चौहान ने भी आज योगी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया, वह भी अखिलेश यादव से मिले हैं। बताया जा रहा है कि दारा सिंह स्वामी प्रसाद के करीबी नेता है। बीते दिन चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की बिधूना सीट से भाजपा विधायक विनय शाक्य ने पार्टी को झटका देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल होने का मन बना लिया है।