अयोध्या विवाद : निर्मोही अखाड़े ने जमीन पर मालिकाना हक जताया - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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अयोध्या विवाद : निर्मोही अखाड़े ने जमीन पर मालिकाना हक जताया

उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े ने कहा कि विवादित जमीन पर उसका पूरा हक है।

उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े ने कहा कि विवादित जमीन पर उसका पूरा हक है। 
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने निर्मोही अखाड़े की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सुशील कुमार जैन ने दलील देते हुए कहा कि वर्षों से इस जमीन पर निर्मोही अखाड़ का ही कब्जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दू वहां प्रतिदिन पूजा करते हैं जबकि मुसलमान केवल शुक्रवार को ही नमाज करते हैं, लेकिन अदालत में मुसलमान यह दावा करते हैं कि वे प्रतिदिन नमाज अदा करते हैं। 
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने श्री जैन से विवादित जमीन के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी। 
इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर शामिल हैं। 
शीर्ष अदालत को वरिष्ठ वकील ने नक्शा दिखाते हुए कहा कि उनका मामला विवादित परिसर के अंदरूनी हिस्से को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस पर पहले हमारा कब्जा था। बाद में इसे बलपूर्वक कब्जे में ले लिया गया। इस जमीन पर हमारा 100 वर्षों से कब्जा था। यह जगह राम जन्मस्थान के नाम से जानी जाती है। 
यह पहले निर्मोही अखाड़ के कब्जे में थी।’’ निर्मोही अखाड़ ने कहा कि उसने इसको लेकर 1959 में मामला दर्ज कराया था जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से इसमें 1961 में मामला दर्ज कराया गया। 
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर 2010 ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़े और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। 
हालांकि, शीर्ष अदालत ने मई 2011 में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

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