अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए बहुचर्चित भूमि पूजन 30 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत के इस स्वर्णिम अवसर पर भाग लेने की उम्मीद थी लेकिन अब उनके वेब के जरिए समारोह में शिरकत करने की संभावना है।
इससे पहले कयास लगाये जा रहे थे कि लॉकडाउन के कारण भूमि पूजन की तय तारीख को आगे बढाया जा सकता है लेकिन रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निर्धारित तिथि यानी 30 अप्रैल को संक्षिप्त आयोजन के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम को सम्पन्न कराने पर विचार कर रहा है। ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने सोमवार को कहा कि उनके पास भूमि पूजन कार्यक्रम के कई विकल्प है, उनमे से एक वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये समारोह को सम्पन्न कराना है।
उन्होने कहा कि ‘‘हम अभी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये छोटा कार्यक्रम आयोजित कर सकते है और हालात सामान्य होने पर बड़ समारोह किया जा सकता है। इस सिलसिले में जल्द ही फैसला लिया जायेगा।’’ हालांकि ट्रस्ट ने अभी तक भूमि पूजन के लिये 30 अप्रैल का आधिकारिक एलान नहीं किया है लेकिन इसके लिये तैयारियां पिछले लंबे समय से चल रही हैं।
MP : फ्लोर टेस्ट पर राज्यपाल के आदेश को SC ने ठहराया सही, कांग्रेस की याचिका हुई खारिज
हिन्दू कलेंडर के लिहाज से 30 अप्रैल सर्वोत्तम दिन है जब बैसाख शुक्ल की सप्तमी है और संत समाज इसी शुभ दिन को भूमि पूजन करने के लिये आतुर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिये पिछली 25 मार्च को रामलला समेत अन्य प्रतिमाओं को बुलेटप्रूफ अस्थायी मंदिर में विराजमान कराया था।
बता दें कि नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय ने रामजन्मभूमि स्थल के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसके तहत समूचा क्षेत्र राम मंदिर के लिये दिया गया था और अल्पसंख्यकों को वैकल्पिक स्थान के लिये पांच एकड़ जमीन देने के निर्देश दिए थे। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही अयोध्या जिले की सीमा पर अदालत के आदेशानुसार मुस्लिम समुदाय को जमीन आवंटित कर चुकी है जिसे सुन्नी वक्फ बोर्ड मंजूर भी कर चुका है।