इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग वाली अर्जी पर मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन को चार महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान व अन्य की याचिका पर दिया है। भगवान श्री कृष्ण विराजमान द्वारा दायर दीवानी वाद में मथुरा की अधीनस्थ अदालत ने विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने और निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की है। आवेदन 13 मई 2022 को किया गया था।
काफी समय बीत जाने के बावजूद इस आवेदन पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकीः याचिका कर्ता
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि काफी समय बीत जाने के बावजूद इस आवेदन पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से इस मामले में दखल देने का अनुरोध किया। सोमवार को इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मथुरा सिविल जज सीनियर डिवीजन को 13 मई, 22, 35सी और 37सी को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद चार महीने में दायर आवेदनों पर फैसला करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वैधानिक बाधा नहीं है तो सुनवाई स्थगित नहीं की जानी चाहिए। मूल मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।
जानिए किस बात को लेकर है विवाद
शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। 12 अक्टूबर 1968 को श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया गया था। इस समझौते में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों साथ रहेंगे। तब से इस जमीन का 10.9 एकड़ श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास और 2.5 एकड़ शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपना कुछ हिस्सा छोड़ दिया था और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में कुछ जगह दी गई थी। लेकिन अब हिंदू पक्ष 13.37 एकड़ के पूरे भूखंड पर कब्जा करने की मांग कर रहा है।