लखनऊ : गन्ना किसानों के भुगतान के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा की योगी सरकार को एकबार फिर घेरा है। अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों का 50 प्रतिशत से ज्यादा गन्ना खेत में खड़ा है। चीनी मिलें गन्ना नहीं ले रही हैं, ऐसे में उनके पास गन्ना खेत में जलाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं बचा है। गन्ना किसान बदहाली में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। भाजपा को गरीबों और किसानों से चिढ़ है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं और चीनी मिलों के अधिकारियों की मिली भगत से ओवरवेट के नाम पर किसानों की पर्चियां रोक दी जाती रही हैं। घटतौली की शिकायतें आम रही हैं।
चीनी मिलों द्वारा अपने घाटे के नाम पर किसानों का शोषण किया जाता है। गन्ना किसान को न तो निर्धारित मूल्य मिल पा रहा है और नहीं उसका समय से भुगतान हो रहा है। कुछ चीनी मिलों ने 10.34 प्रतिशत ही भुगतान किया है। उन्होंने दावा किया कि अधिकांश चीनी मिलों द्वारा जनवरी 2018 से किसानों को गन्ना आपूर्ति का भुगतान नहीं हो रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 में किसानों का गन्ना मूल्य 9,429.19 करोड़ रुपए बकाया है। समाजवादी पार्टी की सरकार में गन्ना किसानों को जो सुविधाएं और लाभ मिले थे, भाजपा सरकार में उनकी पूरी तरह उपेक्षा हो रही है।
पिछले बकाया पर जो ब्याज मिलना था उससे भी गन्ना किसान वंचित हैं। अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बड़े जोर शोर से दावा किया था कि 14 दिन में भुगतान न होने की स्थिति में ब्याज देना होगा। ब्याज की कौन कहे मूल धनराशि तक अभी नहीं मिल पायी है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार द्वारा शीरा नीति घोषित न होने से शीरा किसी भी मूल्य पर कोई खरीदने को तैयार नहीं हैं जबकि समाजवादी सरकार में शीरा 430 रुपए कुंतल बिकता था। चीनी मिल मालिक केवल अपना स्वार्थ देखते हैं उन्हें किसानों के हितों की चिंता नहीं है।
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