पिछले महीने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस छाप के दौरान कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। एजंसी ने मंगलवार शाम को मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरु कर दी है। सीबीआई से पहले यह जांच राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही थी। इस मामले में हत्या का आरोप पुलिस कर्मियों पर लगा है जिन्हें प्रशासन ने सस्पेंड किया हुआ है।
राज्य सरकार ने की थी केंद्र से सिफारिश
गोरखपुर में हुए हत्याकांड की जांच कराने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। एक अक्टूबर को राज्य सरकार के गृह विभाग ने एक ट्वीट में कहा कि सीबीआई जांच शुरू करने के लिए केंद्र को एक सिफारिश भेजी गई थी। इसलिए इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है।
पुलिस जवानों के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया मामला
सीबीआई ने उत्तर प्रदेश पुलिस के उन जवानों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिन्होंने 27 सितंबर को गोरखपुर के एक होटल में छापेमारी के दौरान 38 वर्षीय प्रॉपर्टी डीलर के साथ कथित तौर पर मारपीट और उसकी हत्या की थी। जांच एजेंसी ने इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, सब-इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा और विजय यादव का नाम लिया दर्ज किया है, और गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने के तीन अन्य पुलिसकर्मियों को मामले में आरोपी बनाया गया है। इस मामले में राज्य सरकार पहले ही छह आरोपियों को सेवा से निलंबित चुकी है। शुरूआत में फरार होने के बाद इन्हें अक्टूबर में गिरफ्तार कर लिया गया था।
राज्य सरकार ने पत्नी को दिेए नौकरी दिलाने कि निर्देश
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने मृतक की पत्नी को कानपुर विकास प्राधिकरण में नौकरी दिलाने के निर्देश दिए थे और परिवार को 40 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी भी दी जाएगी। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी ने भी वित्तीय सहायता के रूप में 20 लाख रुपये का वादा किया है।मनीष हरियाणा के दो अन्य दोस्तों के साथ गोरखपुर जा रहे थे। तीनों शहर के होटल में ठहरे हुए थे जब पुलिस टीम ने होटल में छापा मारा और मध्यरात्रि छापेमारी पर सवाल उठाने वाले मनीष गुप्ता के साथ मारपीट की थी। गुप्ता गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया था। मनीष गुप्ता के परिवार में उनकी पत्नी और चार साल का बच्चा है।