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कृषि कानूनों को लेकर सपा, कांग्रेस का वाकआउट पर उखड़े CM योगी, विपक्ष को लिया आड़े हाथ

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों की समस्याओं से जुड़े मुद्दे को अध्यक्ष द्वारा उठाने की अनुमति नहीं दिए जाने पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्यों से सदन से वाकआउट किया और भाजपा नेताओं पर बड़े कोरपोरेट घरानों के लिए दलाली करने का आरोप लगाया।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों की समस्याओं से जुड़े मुद्दे को अध्यक्ष द्वारा उठाने की अनुमति नहीं दिए जाने पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सदस्यों से सदन से वाकआउट किया और भाजपा नेताओं पर बड़े कोरपोरेट घरानों के लिए दलाली करने का आरोप लगाया। 
वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि घोषित ‘दलाली’ का जरिया समाप्‍त होने से विपक्षी नेता आक्रोशित हैं । नेता सदन (मुख्‍यमंत्री) योगी आदित्‍यनाथ द्वारा किसानों की आड़ में ‘दलाली’ का आरोप लगाने पर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने नाराज़गी जताते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को अडानी और अंबानी का दलाल करार दिया। 
शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी, सपा सदस्‍य शैलेंद्र यादव ललई, नरेंद्र वर्मा और वीरेंद्र यादव ने विधान सभा अध्‍यक्ष को नोटिस देकर सदन की कार्यवाही स्‍थगित कर केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन क‍ृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे आंदोलनरत किसानों के उत्‍पीड़न पर चर्चा कराने की मांग की थी। 
चौधरी ने सदन में कई बार इस पर चर्चा कराने की मांग रखी लेकिन मांग स्‍वीकृत न होने पर नारे लगाते हुए सपा के सदस्‍य वाकआउट कर गए। इस दौरान कांग्रेस के सदस्‍य भी किसानों के मसले पर ही सदन से बाहर चले गये। इसी बीच मुख्‍यमंत्री ने सदन से बहिर्गमन कर रहे सदस्‍यों की ओर इशारा करते हुए कहा ” ये है वास्‍तविकता, ये है सच्‍चाई– ये सच्‍चाई इस बात को बताती है कि प्रतिपक्ष का हमारे अन्‍नदाता किसानों से कोई लेना देना नहीं है।” 
विपक्षी सदस्‍यों द्वारा गन्‍ना मूल्‍य में चार वर्ष में एक रुपये की भी वृद्धि न होने के आरोप पर मुख्‍यमंत्री ने कहा ”अगर 2004 से लेकर 2017 के बीच में गन्‍ना मूल्‍य के पूरे भुगतान को जोड़ लिया जाय तो इन वर्षों में जितना भुगतान नहीं हुआ, उतना पिछले साढ़े तीन वर्षों में हुआ है। हमारी सरकारी ने गन्‍ना किसानों के खाते में सीधे पैसा भेजा है।” 
योगी ने कहा ” अन्‍नदाता किसान को धोखा देकर ‘दलाली’ करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पैसा सीधे उनके (किसानों) खातों में क्‍यों जा रहा है। आज तो पर्ची भी किसानों के स्‍मार्ट फोन पर प्राप्‍त हो रही है। घोषित ‘दलाली’ का जो जरिया था वह भी समाप्‍त हो गया है।” 
नेता सदन ने कहा कि विपक्ष में सच स्‍वीकार करने की हिम्‍मत नहीं है, इसलिए सदन से भाग खड़ा हुआ। योगी ने यह भी कहा कि प्रतिपक्ष सदन में नोटिस देने से पहले उस विषय पर अध्‍ययन भी नहीं करता। राम गोविंद चौधरी ने बाद में विधान सभा के तिलक हाल में पत्रकारों से ‘दलाल’ शब्‍द पर नाराजगी जताते हुए कहा‘‘ भाजपा के नेता संसदीय मर्यादा भूल गये हैं, ये घमंड में हैं और दलाल ये खुद हैं, ये अडानी और अंबानी के दलाल हैं। प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री, अडानी और अंबानी के दलाल हैं। विपक्ष तो किसानों के समर्थन में है।” 
उन्होंने कहा कि तीन माह हो गये और दौ सौ से अधिक किसान कड़ाके की ठंड में शहीद हो गये जिनमें दो किसान उत्‍तर प्रदेश के भी हैं। केंद्र सरकार का कोई मंत्री, राज्‍य का मुख्‍यमंत्री मंत्री या भाजपा का कोई बड़ा या छोटा नेता श्रद्धांजलि अर्पित करने भी नहीं गया। उन्‍होंने कहा कि यह देश का सबसे अहम मुद़्दा है लेकिन सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। 
कांग्रेस के अख्‍तर मसूद और नरेश सैनी ने तिलक हाल में पत्रकारों से कहा कि जो सरकार किसानों की आय दोगुना करने का दम भरती है उसने गन्‍ना किसानों का एक रुपया भी नहीं बढ़ाया है। सदस्‍यों ने कहा कि हमारी मांग सदन की कार्यवाही रोकर चर्चा कराने की थी लेकिन यह सरकार असंवेदनशील है, इसलिए कांग्रेस ने सदन से वाकआउट किया। 
इसके पहले बजट सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का मुद्दा उठाया जिस पर सदन में जमकर हंगामा हुआ उसके बाद अध्यक्ष ने आधे घंटे के लिये कार्यवाही स्थगित कर दी । इससे पूर्व, चौधरी ने यह भी मांग की कि किसान आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाये । 
इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि पूर्ववर्ती सपा सरकार में किसानों के नेता महेंद्र सिंह टिकैत को जेल में डाला गया था और उनकी पिटाई की गयी थी । इसके बाद सदन में शोर शराबा बढ़ने लगा, इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिये स्थगित कर दी । सदन के स्‍थगन का समय कई बार बढ़ाया गया और 12 बजकर 20 मिनट पर कार्यवाही शुरू हो सकी। 

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