उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुये प्रदर्शन का श्रेय लेने के लिये अब राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस में होड़ मची है। सपा कह रही है कि सीएए के विरोध में पूरे राज्य में हुये प्रदर्शन में कांग्रेस कहीं नहीं थी तो कांग्रेस के नेता गिरफ्तार लोगों से जेल और उनके परिवार के लोगों से मुलाकात कर उन्हें कानूनी सहायता देने की बात कर रहे हैं। सपा एक कदम और आगे निकल गई है और कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार लोगों को लोकतंत्र सेनानी की तरह संविधान रक्षक के तहत पेंशन देने की बात कर रही है।
पिछले 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में कानून के विरोध में हुये हिंसक प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार की गईं प्रदेश कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता सदफ जाफर से मिलने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्र समेत अन्य लोग मिलने जेल में गये थे और मिलने के बाद आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी की नेता को जेल में प्रताड़ति किया जा रहा है। इस ठंड में उन्हें जेल में कंबल तक नहीं दिये गये हैं।
राजनीति-सीएए सपा कांग्रेस दो लखनऊ सदफ जाफर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में जमानत की याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि वो पुलिस को उपद्रव करने वालों के बारे में बता रही थीं लेकिन उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने जेल प्रशासन से घर का खाना दिये जाने की अनुमति देने की भी मांग की है।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किये गये भारतीय पुलिस सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी एसआर दारापुरी के घर उनके परिवार वालों से मिलने गईं। हालांकि श्री दारापुरी कांग्रेसी नहीं बल्कि मार्क्सवादी विचारधारा के हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा जब श्री दारापुरी के आवास पर गईं तो इसे लेकर बड़ राजनीतिक ड्रामा हुआ। उसी दौरान उन्होंने पुलिस पर धक्का देने और गला दबाने का आरोप लगाया था।
दूसरी ओर विधानसभा में विपक्ष के नेता समाजवादी पार्टी के राम गोबिंद चौधरी कहते हैं कि कानून के खिलाफ प्रदर्शन से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है। देश में लोकतंत्र बचाने के लिये सपा ही सड़कों पर उतरती है। कांग्रेस को उन्होंने सुविधाभोगी पार्टी करार दिया।