कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ये मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दरवाजे तक पहुंच गया है। इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली को लेकर समाजसेवी डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा आयोग से शिकायत की गई है।
नूतन ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है कि विकास दूबे का कृत्य अत्यंत जघन्य था लेकिन जिस प्रकार से पुलिस ने इसके बाद गैरकानूनी कार्य किये हैं, वह भी अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि आरोप हैं कि विकास के मामा प्रेम प्रकाश पाण्डेय तथा अतुल दूबे को गाँव में मारा गया जबकि वे कथित रूप से घटना में शरीक नहीं होने के कारण गाँव में मौजूद थे।
इसी प्रकार उसके सहयोगी प्रभात मिश्रा तथा प्रवीण दूबे एवं अब स्वयं विकास को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मारा जाना किसी को स्वीकार नहीं हो रहा है। पुलिस की कहानी में कई जाहिरा खामियां हैं। ऐसे ही जैसे विकास का घर बिना आदेश के गिराया गया अथवा उसकी पत्नी व बच्चे से बर्ताव किया गया, वह अवैधानिक व अनुचित था। नूतन ने इन आरोपों की जांच की मांग की है।
गौरतलब है कि दो तीन जुलाई की दरमियानी रात कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसाई थीं, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। इसके बाद से पुलिस के साथ हुई अलग-अलग मुठभेड़ में दुबे के गिरोह के कई सदस्य मारे गए हैं।
तीन जुलाई की सुबह ही बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दुबे मारे गए। आठ जुलाई को हमीरपुर के मौदहा में पुलिस ने 50 हजार रुपये के इनामी बदमाश और विकास के खास अमर दुबे को मार गिराया था। वहीं नौ जुलाई को कानपुर मुठभेड़ में कार्तिकेय उर्फ प्रभात जबकि इटावा मुठभेड़ में प्रवीण उर्फ बउवा दुबे मारा गया।