समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को गैस सिलेंडर के दाम में वृद्धि को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और विधानसभा चुनाव बीतने के बाद महंगाई बढ़ाने का आरोप लगाया। सपा प्रमुख ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए मंगलवार की सुबह ट्वीट किया, ‘‘जनता को दिया भाजपा सरकार ने महंगाई का एक और उपहार… लखनऊ में रसोई गैस सिलेंडर हुआ हजार के पास और पटना में हजार के पार।’’ इसी ट्वीट में अखिलेश ने लिखा, ‘‘चुनाव खत्म, महंगाई शुरू…।’’
दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 80 पैसे की वृद्धि
दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत में सोमवार को सुबह 6 बजे से 80 पैसे की वृद्धि हुई, बता दें कि 1 दिसंबर 2021 के बाद यह पहला संशोधन है, घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) की कीमत में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई। दिल्ली के राजधानी सर्विस स्टेशन पर मंगलवार को एक लीटर पेट्रोल बढ़कर 96.21 रुपये हो गया, जबकि डीजल की कीमत बढ़कर 87.47 रुपये प्रति लीटर हो गई, जो पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये से 80 पैसे की वृद्धि को दर्शाती है, जबकि डीजल की दरें 86.67 रुपये थी।
जानें अपने शहर का हाल
अक्टूबर की शुरुआत के बाद पहली बार हुई एलपीजी की कीमत में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी। खुदरा ईंधन की कीमतों में यह वृद्धि नवंबर के बाद पहली बार हुई है। मेट्रो शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इस प्रकार हैं:
सिटी पेट्रोल डीजल
दिल्ली 96.21 87.47
मुंबई 110.82 95
चेन्नई 102.16 92.19
कोलकाता 105.51 90.62
चुनाव के बाद महंगाई की पहले से लग रही थी अटकलें
बताते चलें कि पहले से ही यह अटकलें थीं कि ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव समाप्त हो गए हैं। सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुकी कीमतों से राहत देने के लिए केंद्र ने 4 नवंबर 2021 को उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। सरकार ने पेट्रोल पर शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, जिससे ईंधन की कीमतों में काफी कमी आई थी।
2021 में दिल्ली सरकार ने कम किया था VAT
दिसंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने पेट्रोल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) को 30 प्रतिशत से घटाकर 19.40 प्रतिशत कर दिया था। इसके साथ, राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमतों में 8.56 रुपये प्रति लीटर की कमी आई। भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है, जिससे यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता बन जाता है। देश के स्थानीय पेट्रोल और डीजल की कीमतें दो ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय लागत से जुड़ी हैं, जो कच्चे तेल की कीमतों के अनुपात में चलती हैं।
रूस-यूक्रेन महायुद्ध का हो रहा प्रभाव?
रूस-यूक्रेन संघर्ष में वृद्धि पर बेंचमार्क ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें लगभग 120 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ गई हैं और खुदरा कीमतों में वृद्धि के लिए राज्य ईंधन कंपनियों पर दबाव डाला है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन – तीन बड़ी सरकारी कंपनियां – ईंधन की खुदरा बिक्री पर हावी हैं और अपनी कीमतों को एक साथ स्थानांतरित करती हैं।