कानपुर के बिकरू कांड में पुलिस ने कुल 18 लोगों के खिलाफ ताजा एफआईआर दर्ज की है, जिसमें मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की पत्नी, पिता, भाई और सहयोगी शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक गुरुवार को चौबेपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे, उनके पिता रामकुमार दुबे, भाई दीप प्रकाश, उनकी पत्नी अंजलि और कई अन्य लोगों के नाम हैं।
इन 18 लोगों में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें विष्णुपाल, अमित, दिनेश कुमार, रविंदर कुमार, आशुतोष त्रिपाठी जैसे सहयोगियों के नाम शामिल हैं। इन लोगों पर हथियार लाइसेंस हासिल करने के लिए जाली हलफनामा दायर, धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य अपराधों के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। फर्जी दस्तावेजों के तहत सिम कार्ड प्राप्त करने के मामले में गैंगस्टर विकास के परिवार के सदस्यों के साथ उनकी पत्नी ऋचा और अमर दुबे की नाबालिग पत्नी रेखा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
बिकरू गांव मुठभेड़ की जांच करते समय पुलिस ने 3 छापे मारे, एसआईटी ने पाया कि विकास के परिवार के 6 लोगों के पास उनके नाम से जारी शस्त्र लाइसेंस थे। ऋचा दुबे, विकास के पिता, भाई, उनकी पत्नी अंजलि और उनके नौकर दयाशंकर सभी के पास लखनऊ और कानपुर से जारी शस्त्र लाइसेंस थे। बता दें कि गैंगस्टर के परिवार के लिए जारी किए गए इतने सारे शस्त्र लाइसेंस स्थानीय पुलिस और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के आचरण और संचालन पर गंभीर सवाल उठाए थे।
बता दें कि 2004 में प्रशासन ने विकास दुबे के नाम पर जारी किए गए शस्त्र लाइसेंस को रद्द कर दिया था और इस संबंध में एक आदेश स्थानीय पुलिस स्टेशन को भेजा गया था। हालांकि, कलेक्टर कार्यालय में फाइल किसी तरह दबा दी गई थी और आदेश के बावजूद विकास के हथियार को कभी जब्त नहीं किया गया था। एसपी ने बताया था कि स्थानीय पुलिस स्टेशन के पास विकास का लाइसेंस रद्द करने का आदेश प्राप्त करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस पूरे मामले में कई सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर संदेह था।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) अनंत देव तिवारी को योगी सरकार ने एक ऑडियोटेप के वायरल होने के बाद उनकी कथित संलिप्तता के लिए निलंबित कर दिया है। ऐसा माना जाता है कि अनंत देव तिवारी को एसएसपी कानपुर के पद पर तैनात किए जाने पर विकास दुबे का दबदबा कई गुना बढ़ गया था। एसएसपी दिनेश पी जो बिकरू घटना के समय कानपुर में तैनात थे, उन्हें भी कारण बताओ नोटिस दिया गया है। अनंत देव तिवारी के अलावा, पूर्व एएसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह, कानपुर के पूर्व सीओ एलआईयू, और लखनऊ के कुछ अधिकारी गैंगस्टर के साथ कथित संलिप्तता के लिए जांच के दायरे में रहे हैं।
बिकरू एनकाउंटर के तुरंत बाद, शहीद पुलिस अधिकारी देवेंद्र मिश्रा के तत्कालीन कानपुर एसएसपी अनंत देव तिवारी का एक पत्र मीडिया में वायरल हो गया था। पत्र में शहीद अधिकारी ने चौबेपुर स्टेशन कर्मियों के आचरण पर गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि एसओ विनय तिवारी की निष्क्रियता और जानबूझकर की गई लापरवाही से जल्द ही गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। बता दें कि चौबेपुर स्टेशन के एसओ विनय तिवारी, एसआई केके शर्मा और अन्य लोग गोलीबारी शुरू होने पर अपने साथियों को छोड़कर भाग गए थे। हालांकि तिवारी और शर्मा दोनों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।