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‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक्शन में CM योगी, बरेली में कानून के तहत पहला केस दर्ज

देवरानिया पुलिस सर्किल के तहत आने वाले शरीफ नगर गांव के निवासी टिकाराम ने एक शिकायत दर्ज कराई कि उनके गांव का एक युवक उसकी बेटी को बहला फुसला रहा है और अब धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है।

जबरन धर्म परिवर्तन कर विवाह यानी ‘लव जिहाद’ पर रोक लगाने के लिए हाल में ही जारी किए गए अध्यादेश के तहत उत्तरप्रदेश के बरेली में पहली एफआईआर दर्ज की गई है। इस संबंध में शिकायत शनिवार रात को देवरानिया पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई।
देवरानिया पुलिस सर्किल के तहत आने वाले शरीफ नगर गांव के निवासी टिकाराम ने एक शिकायत दर्ज कराई कि उनके गांव का एक युवक उसकी बेटी को बहला फुसला रहा है और अब धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है। आरोपी के खिलाप विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम की धारा 504/506 और 3/5 के तहत मामला दर्ज किया गया है। राज्य के गृह विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है और जांच जारी है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित धर्मांतरण संबंधी बिल को शनिवार को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए बुधवार को राजभवन भेजा गया था। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल के पास भेजा गया था।
योगी आदित्यनाथ मंत्रिपरिषद की बैठक में मंगलवार को धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को इसको राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह अध्यादेश के रूप में यूपी में लागू हो गया है और अब ऐसा अपराध गैर जमानती माना जाएगा।
अध्यादेश के अनुसार, किसी एक धर्म से अन्य धर्म में लड़की का धर्म परिवर्तन सिर्फ एकमात्र प्रयोजन शादी के लिए किया जाता है तो ऐसा विवाह शून्य (अमान्य) की श्रेणी में लाया जा सकेगा। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा। ज्ञात हो कि अध्यादेश के अनुसार एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए संबंधित पक्षों को विहित प्राधिकारी के समक्ष उद्घोषणा करनी होगी कि यह धर्म परिवर्तन पूरी तरह स्वेच्छा से है।
संबंधित लोगों को यह बताना होगा कि उन पर कहीं भी, किसी भी तरह का कोई प्रलोभन या दबाव नहीं है। अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के सभी पहलुओं पर प्रावधान तय किए गए हैं। इसके अनुसार धर्म परिवर्तन का इच्छुक होने पर संबंधित पक्षों को तय प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पहले सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में आज से महज शादी के लिए अगर लड़की का धर्म बदला गया तो ऐसी शादी अमान्य घोषित होगी। इसके साथ ही धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 वर्ष तक जेल भी भुगतनी पड़ सकती है। गैर जमानती अपराध के मामले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा चलेगा। दोष सिद्ध हुआ तो दोषी को कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की सजा भुगतनी होगी।

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