हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर सरकारी व्यवस्थाओं की संवेदनहीनता को बयां करती है। इस वायरल हो रही में एक पिता की आंखों में आंसू जो अपने मासूम बेटे के शव को कंधे पर लेकर अस्पताल के चक्कर काटते हुए दिख रहा है लेकिन उसकी बात की कोई भी सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं है।
रमुआपुर के रहने वाले दिनेश चंद ने अपने चार साल के बेटे जिसका नाम दिव्यांशु है उसको बुखार होने की वजह से जिला अस्पताल में दाखिल कराया था। इलाज के दौरान बुधवार को दिव्यांशु की मौत हो गई। बच्चे की मौत की खबर सुनते ही पिता के ऊपर दखों का पहाड़ टूट गया था।
बच्चे के मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए पिता होता रहा परेशान…
जब बेटे के शव को घर ले जाने के लिए कह दिया गया तब बोला की पहले मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना होगा। बिना मृत्यु प्रमाणपत्र के अस्पताल से कोई छुट्टी नहीं मिलेगी। इस बात के लिए दिनेश काफी ज्यादा परेशान हो गया।
उसे पहले ही बेटे के गम ने तोड़ दिया और अब अस्पताल के इस फरमान की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिर करे तो करे क्या? वो कभी एक काउंटर पर जाता तो कभी उसे दूसरे काउंटर पर भेज दिया जाता।
इसके बाद काफी मशक्कत करने के बाद वह अपने बेटे का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा सका जिसके बाद वो अपने बेटे के शव को घर ले जा पाया। वहीं इस घटना पर सीएमएस डॉ.आरके वर्मा ने कहा कि मरीज की मौत के बाद उसका प्रमाणपत्र जारी हो जाता है। ऐसी किसी बात की समस्या नहीं होती है।